रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि 2005-2006 से रेल दुर्घटनाओं में 90 प्रतिशत की कमी आई है. उन्होंने भविष्य में इसमें और कमी लाने की आवश्यकता पर जोर दिया और सुरक्षा बढ़ाने के लिए डिज़ाइन दोषों जैसे मूल कारणों को दूर करने के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला. अश्विनी वैष्णव राज्यसभा में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब दे रहे थे.
रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे परिवहन का एक पर्यावरण अनुकूल साधन है, जो डीजल इंजन का उपयोग करते समय सड़क परिवहन की तुलना में 90 प्रतिशत कम कार्बन उत्सर्जन करता है. विद्युत कर्षण के साथ, उत्सर्जन पूरी तरह से समाप्त हो जाता है. विद्युतीकरण के लाभों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 2018-19 से डीजल पर बचत 29,000 करोड़ रुपये हो गई है. रेलवे में “वेल्ड फेल्योर” 92% कम हुआ है. रेल फ्रैक्चर्स की संख्या साल 2013-14 में करीब ढाई हजार थी, जो सालाना 250 रह गए हैं यानी इसमें 91 प्रतिशत कमी आई है. ये परिणाम स्टाफ की ट्रेनिंग, मेंटेनेंस प्रैक्टिस में सुधार और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने के बाद आए हैं.
उन्होंने बताया कि रेल से औसतन एक यात्री को एक किमी लेकर जाने की लागत 1.38 रुपये आती है जबकि उससे सिर्फ 73 पैसे किराये के रूप में लिए जाते हैं यानी करीब 47 प्रतिशत का डिस्काउंट दिया जाता है. ये सालाना करीब 60,000 करोड़ रुपये बैठता है. भारत में रेल भाड़ा सभी पड़ोसी देशों में सबसे कम है. विकसित देशों में तो 10 गुना किराया लिया जाता है. रेल मंत्री ने कहा कि कार्गो की कैरिंग में इस वर्ष 31 मार्च तक भारतीय रेलवे दुनिया के शीर्ष 3 देश में शामिल होगा. इस साल का कार्गो कैरिंग 1.6 बिलियन टन है. चीन, अमेरिका और भारत ये तीन देश इस बार टॉप 10 में शामिल होंगे.
वैष्णव ने कहा कि केरल और प. बंगाल में चल रही रेल परियोजनाओं को राज्य सरकार से भूमि अधिग्रहण और कानून व्यवस्था के मामलों के कारण दिक्कत आ रही है. इस मामले में उन्होंने कोलकाता मेट्रो और कई उपरिगामी पुलों और अंडरपास परियोजनाओं का हवाला दिया. उन्होंने बताया कि उप्र, राजस्थान, महाराष्ट्र तथा कई अन्य राज्यों में इस तरह की कोई समस्या आड़े नहीं आ रही है, इसलिए वहां पर रेल परियोजनाओं पर द्रुत गति से काम हो रहा है.
रेल मंत्री ने मोदी सरकार की रेल परियोजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि कश्मीर से जम्मू को जोड़ने वाली रेल परियोजना पूरी हो गई और जल्द ही इसका लाभ देश की जनता को मिलेगा. इसके लिए उन्होंने इंजीनियरों की लगन और समर्पण की तारीफ की. उन्होंने बताया कि कश्मीर का प्रोजेक्ट चिनाब ब्रिज जो एफिल टावर से भी 35 फीट अधिक ऊंचा है. उसे बनाने में रेलवे के इंजीनियरों ने अत्यंत कुशलता और तकनीक का परिचय दिया है. वहां घाटी समीर की तीव्रता के कारण इतना ऊंचा पुल बनाना कोई आसान काम नहीं था. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से देश में रेलवे टनल की कुल लंबाई 125 किमी थी लेकिन 2014 से 2025 तक की अवधि में 160 किमी की रेलवे टनल बनाई गई। यह मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है. इस तरह रेलवे के सभी सेक्टर में महत्वपूर्ण क्रांति आई है.
वैष्णव ने कहा कि मोदी सरकार में रेलवे में अत्यंत पारदर्शिता के साथ कामकाज हुआ है. लोको पायलट की परीक्षा हाल ही में पूरी हुई है. 18,40,000 उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल हुए. परीक्षा 5 दिनों तक चली, 15 शिफ्ट में आयोजित की गई, 156 शहरों, 346 केंद्रों पर कुल 15 भाषाओं में निर्विघ्न संपन्न हुई.
हिन्दुस्थान समाचार