अब वक्त है हथियार छोड़कर कलम, खेती और अपने रुचि के रोजगार व्यवसाय का प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनने का. छत्तीसगढ़ सरकार हर कदम पर साथ देने को तैयार है. आत्म समर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए यह व्यवस्था छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी नई नक्सलवादी आत्मसमर्पण नीति 2025 में की है.
यह नई नीति राज्य से नक्सलवाद की समस्या को जड़ से खत्म करने और भटके हुए युवाओं को समाज की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए की गई है,ताकि वह समाज मे सम्मान पूर्वक जीवन व्यतीत कर सके.वास्तव में नक्सलियों के पुनर्वास के लिए बनाई गई नई नीति में आत्मसमर्पण करने वालों के लिए अच्छे प्रावधान किए गए हैं.
मुख्यमंत्री विष्णु देव की सरकार द्वारा लागू की गयी छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण, पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 न सिर्फ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सुरक्षा देती है, बल्कि उन्हें पुनर्वास, रोजगार, और सम्मानजनक जीवन की गारंटी भी देती है.
इस नीति के जरिए राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि हिंसा के रास्ते पर चल रहे युवाओं के लिए अब समाज की मुख्य धारा में लौटने का दरवाज़ा पूरी तरह खुला है और वह भी सम्मान और भरोसे के साथ. मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने खुद आह्वान किया है कि जो भी युवा हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास और शांति की राह पर लौटना चाहते हैं, राज्य सरकार उनका पूरा सहयोग करेगी.
नक्सल विरोधी अभियानों में पुलिस की विशेष सहायता करने वाले ‘गोपनीय सैनिकों’ (पुलिस मुखबिरों) की मृत्यु के मामले में दिए जाने वाले मुआवजे को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये (केंद्रीय योजनाओं के तहत देय मुआवजे के अतिरिक्त) कर दिया गया है. इसी तरह, ऐसे व्यक्ति को स्थायी विकलांगता के मामले में दिए जाने वाले मुआवजे को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है.
नीति का उद्देश्य
नक्सलवादी आत्मसमर्पण, पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 का मुख्य उद्देश्य नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करना और हिंसा के शिकार लोगों को न्याय एवं सहायता प्रदान करना है, साथ ही आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में फिर से एकीकृत करना है.
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मिलेंगी ये सुविधाएं-
- आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 50,000 रुपये की नकद सहायता दी जाएगी.
- साथ ही हथियार को सौंपने पर एक ‘प्रोत्साहन राशि ‘ भी मिलेगी. जैसे एलएमजी (लाइट मशीन गन) का समर्पण करने पर 5 लाख रुपए, एके-47 राइफल के लिए 4 लाख रुपए, इंसाय या एसएलआर (सेल्फ लोडिंग राइफल) के लिए 2 लाख रुपए आदि मिलेंगे.
- अविवाहित या विधवा नक्सलियों के आत्मसमर्पण के तीन वर्ष के भीतर उन्हें विवाह के लिए 1 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा.
- 25 लाख या उससे ज्यादा इनामी नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने पर उन्हें शहरी क्षेत्र में 4 डिसिमिल (1742 वर्ग फीट) जमीन या ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतम 1 हेक्टेयर कृषि भूमि आवंटित की जाएगी.यदि जमीन उपलब्ध नहीं हे सकी तो अचल संपत्ति खरीदने के लिए 2 लाख रुपये की सहायता मिलेगी.
- आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 5 किलोग्राम या उससे अधिक वजन के आईईडी की जब्ती में मदद करने पर 15,000 रुपये और 10 किलोग्राम या उससे अधिक वजन के आईईडी की जब्ती में मदद करने पर 25,000 रुपये की राशि दी जाएगी.
- तीन साल तक हर महीने 10,000 रुपये मानदेय भी दिया जाएगा.
- नया जीवन शुरू करने के लिए कानूनी मामलों में सहायता दी जाएगी. स्वरोजगार के अवसर प्राप्त करने के लिए कौशल विकास का प्रशिक्षण.
- आत्मसमर्पण के बाद पुनर्वास की पूरी प्रक्रिया 120 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी, ताकि वे जल्द से जल्द समाज की मुख्यधारा में लौट सकें.
- पीएम आवास योजना के तहत घर की सुविधा और साथ ही आत्मसमर्पण के बाद तीन साल तक मुफ्त आवास और भोजन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी.
- नई नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वालों को ट्रांजिट कैंप या पुनर्वास केंद्र में रखा जाएगा, जहां उन्हें उनकी रुचि के अनुसार किसी न किसी हुनर में प्रशिक्षित किया जाएगा.
पीड़ितों और उनके परिवारों को मिलेंगी ये सुविधाएं-
- मृत्यु, गंभीर चोट या स्थायी विकलांगता की स्थिति में पीड़ित परिवारों को ग्रामीण क्षेत्रों में 1.5 हेक्टेयर कृषि भूमि या शहरी क्षेत्रों में 4 डिसमिल (1742 वर्ग फुट) आवासीय भूमि प्रदान की जाएगी. यदि भूमि उपलब्ध नहीं कराई जा सकी तो ग्रामीण क्षेत्रों में 4 लाख रुपये और शहरी क्षेत्रों में 8 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी.
- मृतक नागरिकों के परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी न दे पाने की स्थिति में 15 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
- पीड़ित परिवारों के बच्चों को प्रयास आवासीय विद्यालय और एकलव्य मॉडल स्कूलों में मुफ्त शिक्षा मिलेगी. यदी वे उच्च शिक्षा या तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं तो उन छात्रों को 25,000 रुपये की वार्षिक छात्रवृत्ति भी दी जाएगी.
- पीड़ितों को निजी क्षेत्र में नौकरी मिलने पर सरकार 5 वर्षों तक वेतन का 40% (अधिकतम 5 लाख रुपये प्रति वर्ष) देगी.
- नई नीति में नक्सली हिंसा से पीड़ित लोगों के लिए भी पुनर्वास की व्यवस्था की गई है. अधिकारी ने बताया कि राज्य में घटित नक्सली हिंसा में अगर अन्य राज्य के व्यक्ति या परिवार पीड़ित होते हैं, तो वे भी इस नीति के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे.
क्या है सिस्टम ?
प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति की जानकारी पोर्टल पर दर्ज की जाएगी और उन्हें एक यूनिक आईडी प्रदान की जाएगी. प्रत्येक जिले और सब-डिविजनल स्तर पर एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे जो पुनर्वास कार्यों की निगरानी करेंगे.
सरकार की यह पहल एक तरफ जहां राज्य में स्थायी शांति बहाल करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है, वहीं दूसरी ओर यह संदेश भी देती है कि हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता — भविष्य निर्माण का रास्ता अब विकास, शिक्षा और सम्मानजनक जीवन से होकर गुजरता है.
राज्य और जिला स्तर पर गठित समितियों द्वारा आत्मसमर्पण के प्रत्येक प्रकरण की नियमित समीक्षा की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि लाभार्थी वास्तव में समाज में सकारात्मक भूमिका निभा रहा है.
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