छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने राज्य में नक्सली हिंसा से निपटने और शांति स्थापित करने के उद्देश्य से ‘सलवा जुडूम’ नामक एक अभियान शुरू किया था. गोंडी भाषा में ‘सलवा जुडूम’ का अर्थ ‘शांति यात्रा’ होता है.
यह आंदोलन जून 2005 में कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा के नेतृत्व में शुरू हुआ था और इसे तत्कालीन कांग्रेस सरकार का समर्थन प्राप्त था. इस आंदोलन के तहत, सरकार ने स्थानीय आदिवासियों को हथियार और प्रशिक्षण देकर नक्सलियों के खिलाफ एक स्वयंसेवी बल तैयार किया.
बीजापुर के कुटरू इलाके से एक छोटे स्तर पर शुरू हुआ सलवा जुडूम आंदोलन बहुत तेजी से फैल गया और इसने एक बड़ा रूप ले लिया था. इस अभियान से बड़ी संख्या में जनजातीय जुड़ते चले गए, जिन्हें आगे चलकर विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) का दर्जा भी प्रदान किया गया.
शुरूआत में सलवा जुडूम आंदोलन से जुड़े जनजातियों के पास साधारण व पारंपरिक हथियार जैसे कुल्हाड़ी टांगिया और तीर- धनुष थे, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें आधुनिक हथियार दिए जाने लगे. इसके परिणाम स्वरूप ग्रामीण जनजातियों और नक्सलियों के बीच के हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगीं.
कौन थे महेंद्र कर्मा?
छत्तीसगढ़ के बस्तर टाइगर कहलाए जाने वाले महेंद्र कर्मा कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे. उन्हें बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ एक मजबूत आवाज उठाने और कार्रवाई के लिए जाना जाता है. छत्तीसगढ़ के गठन के बाद कर्मा साल 2000 से 2004 में तक अजीत जोगी सरकार में उद्योग और वाणिज्य मंत्री रहे. इसके बाद साल 2004 से लेकर 2008 तक कर्मा, छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे थे.
कर्मा ने साल 2005 में, छत्तीसगढ़ में माओवादी नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुडूम आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी. इससे नाराज नक्सलियों ने 25 मई 2013 को सुकमा में उनकी पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली से लौटते समय उनकी हत्या कर दी थी.
सलवा जुडूम से जुड़े विवाद
सलवा जुडूम हमेशा से विवादों में ही रहा है.
मानवाधिकार उल्लंघन: सदस्यों पर हत्या, बलात्कार, लूटपाट और आगजनी के गंभीर आरोप लगे.
बाल सैनिकों का इस्तेमाल: सशस्त्र इकाइयों में नाबालिगों की भर्ती की खबरें आईं.
व्यापक विस्थापन: लगभग 55,000 जनजातियों का जबरन विस्थापन हुआ.
सामाजिक विभाजन: आदिवासी समुदाय समर्थक और विरोधी गुटों में बंट गया.
NHRC ने भी लगाए थे ये आरोप
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सलवा जुडूम आंदोलन पर आरोप लगाया कि वे नाबालिग बच्चों को जबरन भर्ती करते है.फैक्ट-फाइंडिंग डॉक्यूमेंटेशन एंड एडवोकेसी (एफएफडीए) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, सलवा जुडूम द्वारा 12,000 से अधिक नाबालिगों का इस्तेमाल किया जा रहा था.
सलवा जुडूम के दौरान हुई हिंसा के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीणों जनजातियों को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे पडोसी राज्यों में शरण लेनी पड़ी. विस्थापित नही होने वाले लोगों को, नक्सलियों का साथ देने का आरोप लगाकर मार डाला जाता था.
कब अवैध घोषित हुआ था सलवा जुडूम आंदोलन?
सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में छत्तीसगढ़ सरकार को सलवा जुडूम का कथित समर्थन और प्रोत्साहन रोकने का निर्देश दिया था. यह आदेश कई याचिकाओं की सुनवाई के बाद आया था.
नंदिनी सुंदर और अन्य द्वारा सलवा जुडूम पर दायर एक मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने इस नागरिक सेना (मिलिशिया) को अवैध और असंवैधानिक करार देते हुए इसे भंग करने का आदेश दिया था.
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