छत्तीसगढ़ के दक्षिणी सीमावर्ती इलाके जिनकी पहचान कभी नक्सलियों के गढ़ के रूप में हुआ करती थी, अब वह तेजी से विकास की राह पर आगे बढ़ रहें हैं. प्रदेश के कैनवास पर अब एक नई तस्वीर उभर कर सामने आ रही है.
जब से प्रदेश में बीजेपी की डबल इंजन सरकार बनी है तब से घोर नक्सल प्रभावित जिलों में विकास की नई बयार बह रही हैं. सरकार की जनहितैषी नीति, नक्सलवाद उन्मूलन अभियान और समग्र विकास ने इन क्षेत्रों में सकारात्मक और परिणाममूलक परिवर्तन की शुरुआत कर दी है.
आज बड़ी संख्या में नक्सलियों का हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होना एक सकारात्मक बदलाव है, जबकि एक समय ऐसा था जब राज्य में उनका दबदबा इतना था कि आम नागरिक से लेकर राजनेता तक कोई भी उनके चंगुल से सुरक्षित नहीं था.
इस सकारात्मक बदलाव की दिशा में, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नक्सलियों के विरुद्ध केंद्र सरकार की कठोर नीति को महत्वपूर्ण बताया है.
अमीत शाह ने जोर देकर कहा कि सरकार आत्मसमर्पण और समाज में पुनर्वास के व्यापक अवसर प्रदान करने के बावजूद, जो नक्सली हिंसा का रास्ता नहीं छोड़ रहे हैं, उनके प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर दृढ़ है और अगले साल 31 मार्च तक देश को नक्सल मुक्त करने के लक्ष्य पर काम कर रही है.
इस दिशा में बढ़ते कदम इस बात का संकेत हैं कि छत्तीसगढ़ अब नक्सल हिंसा के उस भयावह दौर से तेज़ी से उभर रहा है, 2025 से पहले आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की बढ़ती संख्या विकास और शांति की एक नई उम्मीद जगा रही है.
आत्मसमर्पण करने वालों का अंकड़ा
- 2024 में बस्तर क्षेत्र में कुल 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया.
- 2025 में पहले तीन महीनों (जनवरी-मार्च) में 280 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया.
- अप्रैल के पहले हफ्ते में दंतेवाड़ा जिले में 26 नक्सलियों ने, दूसरे हफ्ते में बीजापुर जिले में 22 नक्सली मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं.
- मार्च के पहले हफ्ते में बीजापुर जिले में 19 नक्सली, मध्य में बीजापुर जिले में 17 नक्सली ,अंत में बीजापुर जिले में 50 नक्सली ने आतंक छोड़ दिया.
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार नक्सलियों के विरुद्ध रुथलेस अप्रोच के साथ आगे बढ़ रही है.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर और कांकेर में हमारे सुरक्षा बलों के 2 अलग-अलग ऑपरेशन्स में 22 नक्सली मारे गए. मोदी सरकार नक्सलियों के विरुद्ध रुथलेस अप्रोच से आगे बढ़ रही है और समर्पण से लेकर समावेशन की तमाम सुविधाओं के बावजूद जो नक्सली आत्मसमर्पण नहीं कर रहे, उनके खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है. अगले साल 31 मार्च से पहले देश नक्सलमुक्त होने वाला है.
नक्सलवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति के चलते आए ये बदलाव-
- वर्ष 2025 में अब तक 90 नक्सली मारे जा चुके हैं, 104 को गिरफ्तार किया गया है और 164 ने आत्मसमर्पण किया है.
- वर्ष 2024 में 290 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज किया गया था, 1090 को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया था. अभी तक कुल 15 शीर्ष नक्सली नेताओं को न्यूट्रलाइज किया जा चुका है.
- वर्ष 2004 से 2014 के बीच नक्सली हिंसा की कुल 16,463 घटनाएं हुई थीं, जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में 2014 से 2024 के बीच हिंसक घटनाओं की संख्या 53 प्रतिशत घटकर 7,744 रह गई हैं.
- इसी प्रकार, सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या 1851 से 73 प्रतिशत घटकर 509 रह गई और नागरिकों की मृत्यु की संख्या 70 प्रतिशत की कमी के साथ 4766 से 1495 रह गई है.
- वर्ष 2014 तक कुल 66 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन थे जबकि मोदी सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल में इनकी संख्या बढ़कर 612 हो गई है.
- इसी प्रकार, 2014 में देश में 126 जिले नक्सलप्रभावित थे, लेकिन 2025 में सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या घटकर मात्र 4 रह गई है.
- पिछले 5 वर्षों में कुल 302 नए सुरक्षा कैंप और 68 नाइट लैंडिंग हेलीपैड्स बनाए गए हैं.
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