कोंटा विकासखंड के करीगुंडम पंचायत से धर्मांतंरण की बड़ी खबर सामने आई है. इस पंचायत के लगभग 400 लोगों की एक विशेष ग्राम सभा में गांव के रीति-रिवाज नहीं माने जाते हैं, जिसके कारण 6 धर्मांतरित परिवारों को ग्रामीणों ने गांव से बेदखल कर दिया है.
इस विशेष ग्राम सभा में गांव के 13 धर्मांतरित परिवारों को बुलाकर गांव के रीति-रिवाज, परंपरा का पालन करने की बात कही गई. ग्रामीणों को समझाने के बाद धर्मांतरित ग्रामीण परिवारों में से 7 परिवारों ने मूलधर्म में वापसी कर गांव के रीति-रिवाज परंपरा का पालन करने पर सहमति दी.
6 परिवार ऐसे थे, जिन्होंने मूल आदिवासी धर्म में वापसी करने से मना कर दिया और गांव छोड़ने पर सहमत होकर अपना पूरा सामान लेकर चले गए.
पिछले दिनों हुई ग्राम सभा में धर्मांतरित परिवारों ने बताया कि लगभग दस साल पहले उन सभी ने धर्मांतरित समुदाय के लोगों के चर्च जाने पर बीमारी के ठीक होने की बात कहने के बाद धर्मांतंरण कर लिया था. इसके बाद से वे आदिवासी संस्कृति-परंपरा को छोड़ कर चर्च जाने लगे थे.
आयाेजित विशेष ग्राम सभा में धर्मांतंरण को लेकर ग्रामीणों का जमकर गुस्सा फूटा. ग्रामीणों ने कहा कि धर्मांतंरण से गांव की परंपरा और संस्कृति को गहरा आघात पहुंचा है. इसी तरह यदि सभी गांव की मूल परंपरा को छोड़ते जाएंगे तो एक दिन हमारी पूरी आदिवासी संस्कृति ही नष्ट हो जाएगी.
विनय कुमार ने क्या कहा?
गांव छोड़कर जाने वाले विनय कुमार ने बताया कि घर में लोग बीमार पड़ रहे थे, और गांव के वड्डे (पुजारी) के पास जाने से स्वास्थ्य ठीक नहीं हो रहा था. इसके बाद साल 2015 से वे धर्मांतरित होकर चर्च जाने लगे.ब गांव के लोग दोबारा मूलधर्म में वापसी करने को कह रहे हैं, नहीं तो गांव छोड़कर जाने कहा है. अब वे गांव की संस्कृति और परंपरा से नहीं जुड़ना चाहते, इसलिए गांव छोड़कर जाना स्वीकार लिया है. गांव के सभी लोगों ने मिलकर छह परिवारों के सामान ट्रैक्टर में लादने में मदद भी की है.
हिन्दुस्थान समाचार