क्या केवल सुरक्षाबलों के दम पर हिंसा की लड़ाई जीती जा सकती है? केंद्र सरकार की 2015 की राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना ने छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. इस नीति का मुख्य उद्देश्य एक बहुआयामी रणनीति के माध्यम से इस समस्या का समाधान करना था, जिसमें सुरक्षा उपायों के साथ-साथ विकास संबंधी हस्तक्षेप, स्थानीय समुदायों के अधिकारों, हकदारियों को सुनिश्चित करना और शासन में सुधार करना शामिल था. इस नीति के परिणाम स्वरूप हिंसा में निरन्तर कमी आ रही है.
जहाँ 2010 में नक्सलवाद छत्तीसगढ़ में अपनी जड़ें फहला रहा था, वहीं इस नीति के आने के बाद 2024 में हिंसा की घटनाएँ घटकर सिर्फ 267 रह गईं.
विकास, अधिकार और सुरक्षा के इस त्रिवेणी संगम ने कैसे बदली तस्वीर?
- 2010 में, जब नक्सली हिंसा अपने चरम पर थी, छत्तीसगढ़ में सैकड़ों हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं और बड़ी संख्या में नागरिक और सुरक्षाकर्मी हताहत हुए.
- राष्ट्रीय नीति (2015) के बाद, छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा की घटनाओं में लगातार गिरावट आई है.
- 2022 की तुलना में 2010 में नक्सली हिंसा की घटनाओं में 76% की कमी आई है. साथ ही नागरिकों और सुरक्षा बलों की मौतों में 90% की कमी दर्ज की गई है.
- 2023 में छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा से संबंधित मौतों की संख्या 86 थी, जिसमें 23 नक्सली मारे गए और 26 सुरक्षाकर्मी सङीद.
- 2024 में समग्र रूप से 235 नक्सली मारे गए हैं. हालांकि, यह वृद्धि मुख्य रूप से सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए बड़े अभियानों के कारण हुई, जिसमें बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए.
प्रभावित जिलों की संख्या में कमी:
- 2018 में छत्तीसगढ़ के 15 जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे.
- 2025 तक, सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रभावित जिलों की संख्या घटकर 4 रह गई है. आधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बिजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा शामिल हैं.
इसी राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना के तहत एक परिचालन रणनीति ‘समाधान’ (SAMADHAN) विकसित की गई. ‘समाधान’ एक संक्षिप्त रूप है, जिसमें नक्सलवाद के खिलाफ कार्रवाई के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है.
‘समाधान’ रणनीति का विस्तृत अर्थ इस प्रकार है-
S – स्मार्ट लीडरशिप (Smart Leadership): इसका मतलब नक्सल विरोधी अभियानों का नेतृत्व करने वाले सुरक्षा बलों और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों में कुशल, दूरदर्शी और रणनीतिक नेतृत्व का होना है. इसमें बेहतर योजना बनाना, संसाधनों का प्रभावी उपयोग करना और जमीनी स्तर पर सही निर्णय लेना शामिल है.
A – आक्रामक रणनीति (Aggressive Strategy): इसका अर्थ है नक्सलियों के खिलाफ निरंतर और दबाव बनाने वाली आक्रामक कार्रवाई करना. इसमें खुफिया जानकारी के आधार पर लक्षित अभियान चलाना, उनके गढ़ों में प्रवेश करना और उन्हें लगातार रक्षात्मक स्थिति में रखना शामिल है. ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति इसी आक्रामक रणनीति का हिस्सा है.
M – प्रेरणा और प्रशिक्षण (Motivation and Training): नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल सुरक्षा बलों के जवानों का उच्च मनोबल बनाए रखना और उन्हें इस विशेष प्रकार के चुनौतीपूर्ण वातावरण में काम करने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना महत्वपूर्ण है.
A – कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी (Actionable Intelligence): नक्सलियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए सटीक समय पर और कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी का होना आवश्यक है.
D – डैशबोर्ड आधारित निगरानी प्रणाली (Dashboard Based Monitoring System): नक्सल विरोधी अभियानों की प्रगति और विभिन्न विकास कार्यों की स्थिति की वास्तविक समय पर निगरानी के लिए एक डैशबोर्ड आधारित प्रणाली का उपयोग करना.
H – प्रौद्योगिकी का उपयोग (Harnessing Technology): नक्सल विरोधी अभियानों में आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करना, जैसे कि ड्रोन, उपग्रह इमेजरी, भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) और अन्य तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल खुफिया जानकारी एकत्र करने, निगरानी करने और अभियानों की योजना बनाने में मदद करता है.
A – प्रत्येक थिएटर के लिए कार्य योजना (Action Plan for Each Theatre): नक्सल प्रभावित प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्ट भौगोलिक, सामाजिक और सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाना. एक ही आकार-सभी के लिए उपयुक्त दृष्टिकोण के बजाय, स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार रणनीतियों को डिजाइन करना महत्वपूर्ण है.
N – कोई वित्तपोषण नहीं (No Access to Financing): नक्सलियों के वित्तीय स्रोतों को रोकना और उन्हें धन प्राप्त करने से वंचित करना उनकी गतिविधियों को कमजोर करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति है. इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और जबरन वसूली जैसे अवैध गतिविधियों पर लगाम कसकर आर्थिक रूप से उनकी कमर तोड़ना है.
यह राष्ट्रीय नीति, केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए विकास की एक नई किरण साबित हुई है. 2010 से 2025 तक का यह सफर, चुनौतियों से भरा जरूर था, लेकिन दृढ़ संकल्प और सही दिशा में उठाए गए कदमों के कारण ही छत्तीसगढ़ आज एक शांत और विकासशील राज्य बनने की ओर अग्रसर है.
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