केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) ने पहली बार छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक विशेष बटालियन का गठन किया है. जिसका नाम बस्तरिया बटालियन( संख्या 241 ) है. ये छत्तीसगढ़ की ही नहीं बल्कि पूरे भारत के सीआरपीएफ की सबसे मुख्य इकाई है.
इस बटालियन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के स्थानीय पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं. अपनी जड़ों से जुड़े होने के कारण, वे दूर-दराज के इलाकों में छिपे नक्सलियों के लिए सुरक्षित ठिकाने बनने की संभावना को लगभग खत्म कर देते हैं.
इस इकाई के गठन का मूल उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सली गतिविधियों पर रोक लगाना है. 241 बस्तरिया बटालियन में 198 महिलाएं सहित कुल 739 स्थानीय जनजाति युवा शामिल हैं. इनका चयन छत्तीसगढ़ के 4 अत्यधिक नक्सल प्रभावित जिलों- बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा से किया गया है.
कब गठित हुई बस्तरिया बटालियन?
बस्तारिया बटालियन 1 अप्रैल, 2017 को अस्तित्व में आई थी. इसे ‘बस्तरिया वारियर्स’ के नाम से भी जाना जाता है. इस बटालियन में बस्तर क्षेत्र से बड़े पैमाने पर कर्मियों को शामिल किया गया है. इनकी तैनाती छत्तीसगढ़ के विशेष ऑपरेशन जोन (SOZ) में की गई है.
क्या है विशेष ऑपरेशन जोन (SOZ)?
SOZ उन क्षेत्रों को कहा जाता है जो नक्सली गतिविधियों से सबसे अधिक प्रभावित हैं और जहां सुरक्षा बलों को लगातार अभियान चलाने की आवश्यकता होती है. इस क्षेत्र में तैनात होने का मतलब है कि बस्तरिया बटालियन सीधे नक्सल विरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाती है.
सुरक्षाकर्मियों के लिए रही सहायक ‘बस्तरिया बटालियन’
बस्तरिया बटालियन का गठन ही इस उद्देश्य से किया गया था कि यह नक्सल विरोधी अभियानों में सुरक्षा बलों की मदद करे.
- बटालियन में क्षेत्रीय लोग शामिल होने के कारण सुरक्षाबलों को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभियानों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में सहायता मिलती है.
- लोकल कनेक्ट होने के कारण, इस बटालियन के जवान स्थानीय लोगों से बेहतर ढंग से जुड़ सकते हैं और महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी एकत्र करने में सक्षम हो सकते हैं.
- नक्सल विरोधी प्रयासों को अधिक प्रभावी बनाने में और स्थानीय युवाओं का समर्थन प्राप्त करने से सुरक्षा बलों को मदद मिलती है.
- स्थानीय जवानों की उपस्थिति नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है, क्योंकि वे अपने ही क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा बलों में शामिल देखते हैं.
स्थानीय लोगों को क्या लाभ?
- बस्तर क्षेत्र में सीआरपीएफ के लड़ाकू लेआउट में स्थानीय प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए.
- बस्तरिया बटालियन में भर्ती होने से स्थानीय युवाओं को सुरक्षित और स्थिर रोजगार मिलता है.
- रोजगार मिलने से स्थानीय लोगों की आय बढ़ती है, जिससे क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान मिलता है.
- शांति और सुरक्षा में सुधार होने से क्षेत्र में विकास कार्यों को बढ़ावा मिल सकता है, जिसका सीधा लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा.
- महिलाओं की भी बटालियन में महत्वपूर्ण संख्या में भर्ती होने से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलता है.
कौन हो सकता है इस बटालियन में शामिल?
- बटालियन में उन लोकल जनजातियों की भर्ती की जाती है जो स्थानीय भाषा जानते हों और जिन्हें लोकल नक्सल प्रभावित स्थानों की जानकारी हो.
- स्थानीय लोगों की शारीरिक बनावट को ध्यान में रखते हुए ऊंचाई और वजन जैसे शारीरिक मानकों में छूट के प्रावधान शामिल हैं.
- स्थानीय युवाओं को अवसर देने के लिए शैक्षणिक योग्यता के मानदंडों में छूट दी गई थी. कुछ भर्तियों में 10वीं कक्षा की बजाय 8वीं कक्षा पास होना भी स्वीकार्य किया गया था.
- बटालियन में महिलाओं को भी महत्वपूर्ण संख्या में भर्ती किया जाता है, जो सरकार की 33% आरक्षण नीति के अनुरूप है.
- सीआरपीएफ द्वारा इन क्षेत्रों में विशेष भर्ती अभियान चलाए जाते हैं ताकि स्थानीय युवाओं को इस अवसर के बारे में जानकारी मिल सके.
बस्तर में शांति का परचम लहराने वाली इस बटालियन ने अपने सफल अभियानों से नक्सलियों के मंसूबों को नाकाम किया है. इसने बस्तर में शांति स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इस बटालियन की कामयाबी का श्रेय स्थानीय आबादी से आए जवानों को जाता है, जो बस्तर के जंगलों की गहरी जानकारी रखते हैं.
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