भारत की आत्मा उसके गांवों में बसती है. गांवों का विकास न केवल स्थानीय समृद्धि का सूचक है बल्कि यह राष्ट्रीय प्रगति और वैश्विक पहचान की दिशा में एक निर्णायक कदम भी है. 24 अप्रैल को मनाया जाने वाला पंचायती राज दिवस इसी संकल्प का प्रतीक है-एक ऐसा दिन जब हम लोकतंत्र को जड़ से मजबूत करने वाली संस्था ‘पंचायत’ की भूमिका को स्मरण करते हैं और उसके माध्यम से ग्रामीण विकास की दिशा में उठाए गए कदमों का मूल्यांकन करते हैं.
आज जब भारत आजादी के 100 वर्ष पूरे करने की ओर अग्रसर है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रस्तुत “विकसित भारत@2047” का विजन हम सबके सामने एक स्पष्ट लक्ष्य रखता है: आत्मनिर्भर, समावेशी, टिकाऊ और तकनीक-संपन्न भारत. इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पंचायती राज व्यवस्था और देश की युवा शक्ति की भागीदारी अनिवार्य है.
पंचायती राज व्यवस्था: लोकतंत्र की जड़ों से विकास की ऊँचाइयों तक
भारत में पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा 73वें संविधान संशोधन अधिनियम (1992) के माध्यम से मिला, जिससे स्थानीय शासन व्यवस्था को तीन स्तरों पर– ग्राम पंचायत, पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर) और जिला परिषद– लागू किया गया. यह व्यवस्था जन-भागीदारी, स्थानीय स्वशासन और विकेन्द्रीकरण का आधार बनकर उभरी.
ग्राम पंचायतें अब योजनाओं के क्रियान्वयन, बजट प्रबंधन, सामाजिक न्याय और सतत विकास के स्थानीय केंद्र बन गई हैं. हमें ज्ञात होना चाहिए कि पंचायती राज का उद्देश्य स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार योजनाएँ बनाना और लागू करना, ग्रामीण समुदायों को सशक्त और स्वावलंबी बनाना, सामाजिक न्याय, समावेशन और पारदर्शिता सुनिश्चित करना रहा है और इसकी प्राप्ति के लिए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे.
गांवों के विकास में युवाओं की भूमिका: परिवर्तन के वाहक
भारत एक युवा देश है-जहां 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है. यदि यह युवा वर्ग पंचायती राज व्यवस्था से जुड़कर ग्राम विकास में सक्रिय हो, तो यह एक सामाजिक क्रांति का स्वरूप ले सकता है. युवा डिजिटल परिवर्तन के अगुवा कराए हुए पंचायतों में तकनीकी नवाचार ला सकते हैं- जैसे डिजिटल ग्राम प्रोफाइल, ऑनलाइन शिकायत निवारण, मोबाइल ऐप से विकास ट्रैकिंग, ई-गवर्नेंस का विषय गाँव के आमजन को जानकारी देते हुए सरकार द्वारा किए गए नवाचरों, योजनाओं ओर उन योजनाओं की मॉनिटरिंग को आमजन तक पहुंच सकते हैं. कृषि व उद्यमिता में नवाचार हेतु फार्म-टू-मार्केट, जैविक खेती, एग्री-स्टार्टअप्स, ग्रामीण पर्यटन जैसी पहलें युवाओं द्वारा संचालित की जा सकती हैं.
शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में योगदान में भी शिक्षा में डिजिटल प्लेटफॉर्म, मोबाइल हेल्थ क्लिनिक, ग्रामीण पोषण योजना, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता जैसे प्रयासों में युवाओं की भूमिका अहम है. वहीं सामाजिक सुधार और नेतृत्व करते हुए बाल विवाह, नशा मुक्ति, पर्यावरण सुरक्षा, लैंगिक समानता जैसे विषयों पर युवाओं का नेतृत्व परिवर्तनकारी हो सकता है.
स्थानीय सतत विकास लक्ष्य: पंचायतों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक
वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2030 तक प्राप्त किए जाने वाले 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को अपनाया गया, जिनका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, पृथ्वी की रक्षा और सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित करना है. भारत ने इन लक्ष्यों को अपनाया और इन्हें स्थानीय स्तर पर लागू (Localization of SDGs) करने के लिए विशेष प्रयास शुरू किए, जिससे विकास की असली नींव-ग्राम पंचायतें-सशक्त बन सकें. यही प्रक्रिया स्थानीय सतत विकास लक्ष्यों (LSDGs) के रूप में जानी जाती है.
स्थानीय सतत विकास लक्ष्य
LSDGs का उद्देश्य वैश्विक SDGs को स्थानीय संदर्भ और ज़रूरतों के अनुसार ढालना है. इसका मतलब है कि हर पंचायत, ब्लॉक, ज़िला और राज्य अपनी स्थानीय प्राथमिकताओं के अनुसार विकास कार्यों को योजनाबद्ध और लागू करे ताकि 2030 तक सभी लक्ष्य हासिल किए जा सकें.
पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार इस दिशा में कार्य कर रहा है ताकि प्रत्येक पंचायत और उन पंचायतों में रहने वाले लोगों का समग्र ग्राम विकास कर और ग्राम पंचायतों को सशक्त बना सके. वर्तमान में ग्राम पंचायतों मे होने वाले विकास कार्य स्थानीय सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप किए जा रहे ताकि गाँव के समग्र विकास के साथ 2030 तक हम संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा तय किए गए सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति भी कर सके.
स्थानीय सतत विकास लक्ष्य
1. गरीबी मुक्त और उन्नत आजीविका वाला गांव: राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान और पंचायती राज के अनुसार, गरीबी उन्मूलन और निवासियों की आर्थिक भलाई में सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है.
2. स्वस्थ गांव: पंचायत विकास योजना अभियान के अनुसार, इसका उद्देश्य सभी निवासियों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता और स्वस्थ रहने की स्थिति तक पहुँच सहित कल्याण को बढ़ावा देना है.
3. बाल हितैषी गांव: पंचायत विकास योजना अभियान के अनुसार, यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जाए और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य आवश्यक सेवाओं तक पहुँच मिले.
4. जल-पर्याप्त गांव: ग्राम के सभी निवासियों के लिए स्वच्छ और पर्याप्त जल संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित करने और स्थायी जल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है.
5. स्वच्छ और हरित गांव: अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देकर, प्रदूषण को कम करके और हरित पहल को बढ़ावा देकर एक स्वच्छ और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ गांव बनाने का लक्ष्य.
6. गांव में आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा: सड़क, जल आपूर्ति प्रणाली और स्वच्छता सुविधाओं जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे को विकसित करने और बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करता है.
7. सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण और सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव: हाशिए पर पड़े समुदायों और विकलांग लोगों सहित सभी निवासियों के लिए सामाजिक समावेश, समानता और सुरक्षा को बढ़ावा देता है.
8. सुशासन वाला गांव: पंचायत विकास योजना अभियान के अनुसार, स्थानीय शासन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और भागीदारी सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करता है.
9. महिला हितैषी गांव: महिलाओं को सशक्त बनाने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य है कि गांव के जीवन के सभी पहलुओं में उनकी ज़रूरतें पूरी हों.
युवा इन लक्ष्यों को स्थानीय क्रियान्वयन के जरिए साकार कर सकते हैं। गांवों में डेटा आधारित योजना निर्माण, परिणाम-आधारित निगरानी और समुदाय आधारित संसाधन प्रबंधन में युवाओं की भूमिका निर्णायक बन सकते हैं.
पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं के साथ तकनीक विकसित करके ग्राम पंचायतों के साथ आमजन की भागीदारी ओर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्लेटफॉर्म भी विकसित भी किए हैं ताकि सशक्त पंचायत, समृद्ध भारत के सपने को साकार करते जुए पंचायतों को आत्मनिर्भर और उत्तरदायी बनाया जा सके। इनमें कुछ महत्वपूर्ण पोर्टल्स e-Gram Swaraj पोर्टल और मोबाइल ऐप: पंचायतों को डिजिटल रूप से सक्षम बनाने के लिए.
AuditOnlineऔर ActionSoft: विकास योजनाओं की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए।Rashtriya Gram SwarajAbhiyan (RGSA): पंचायत प्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों और युवाओं के क्षमता निर्माण के लिए।Gram Panchayat Development Plan (GPDP): हर ग्राम पंचायत की विशेष आवश्यकताओं पर आधारित समावेशी विकास योजना।LSDG पंचायत रेटिंग और पुरस्कार योजना: पंचायतों को प्रोत्साहित करने के लिए रैंकिंग और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रमुख है. इनके जहां पोर्टल्स बने है वही इनकी सुगमता के लिए मोबाईल आधारित ऐप्लकैशन भी बनाई गौ है जिससे हर व्यक्ति की पहुच मे सभी सामग्री हो सके.
प्रधानमंत्री मोदी की संकल्पना: विकसित भारत @2047
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण है कि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना है- एक ऐसा भारत जो आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी और पर्यावरणीय रूप से आत्मनिर्भर हो. इस दिशा में गांवों का समृद्ध, सुरक्षित और सशक्त होना अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने बार-बार यह कहा है कि “विकास का रास्ता गांवों से होकर ही जाता है.” उनका आग्रह है कि हर पंचायत, हर युवा, हर नागरिक इस संकल्प को अपने स्तर पर आत्मसात करें और देश को विकास और समृद्धि की पंचवर्षीय गति की बजाय वार्षिक गति से आगे बढ़ाएं। और समग्र ग्राम-समग्र राष्ट्र की अवधारणा को सिद्ध करते हुए भारत को विकसित राष्ट्र बनाने मे अपना योगदान सुनिश्चित करें.
आज पंचायती राज दिवस केवल स्मरण या आयोजन का दिन नहीं बल्कि यह आत्मनिरीक्षण और संकल्प का अवसर है. यदि युवा शक्ति और पंचायती राज संस्थाएं हाथ में हाथ डालकर काम करें तो न केवल गांव विकसित होंगे बल्कि विकसित भारत की नींव भी मजबूत होगी. युवाओं का जोश, पंचायतों का कार्यानुभव और सरकार की योजनाएँ- जब यह तीनों एक दिशा में मिलते हैं तो समग्र ग्राम विकास की संकलपना पूर्ण होगी ओर गाँव सशक्त बनेगे तब भारत को सशक्त, समावेशी और सतत रूप से विकसित राष्ट्र बनने का सपना पूर्ण होगा.
(लेखक, राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित पंचायती राज विशेषज्ञ एवं सलाहकार हैं।)
रामदयाल सैन
हिन्दुस्थान समाचार