छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है. सूत्रों के अनुसार पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर चल रहे ऑपरेशन में करीब 22 नक्सलियों को मार गिराया है. पुलिस ने भी इसकी पुष्टि की है.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर ऑपरेशन में बड़ी सफलता मिली है. नक्सलियों के कई ठिकाने और बंकर नष्ट किए गए हैं. भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और अन्य सामग्री भी बरामद की गई है. हालांकि, दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सभी हताहतों की पहचान और शवों की बरामदगी में चुनौतियां आ रही हैं.
कर्रेगुट्टा इलाके में डीआरजी , सीआरपीएफ, कोबरा, एसटीएफ और बस्तर फाइटर्स की सयुंक्त टीमें बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चला रही हैं. पहाड़ी और दुर्गम इलाके में सुरक्षाबलों की सतत मौजूदगी ने नक्सलियों पर दबाव बढ़ा दिया है.
दिल्ली से सीआरपीएफ के डीजी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं. वही एडीजी नक्सल ऑपरेशन, सीआरपीएफ आईजी और बस्तर आईजी भी ऑपरेशन पर नजर रखे हुए हैं.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित पहाड़ियों में 21 अप्रैल को ‘मिशन संकल्प’ नाम से अभियान शुरू किया गया, जिसमें लगभग 24 हजार जवान शामिल हैं.
‘मिशन संकल्प’ का मुख्य लक्ष्य बस्तर क्षेत्र में वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism) की समस्या को समाप्त करना है और इस क्षेत्र से नक्सली नेतृत्व को खदेड़ना है.
यह अभियान मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में तेलंगाना सीमा से लगे करेगुट्टा पहाड़ियों के आसपास केंद्रित है. यह क्षेत्र माओवादियों का सबसे मजबूत सैन्य गठन है, इस जगह को बटालियन नंबर 1 और तेलंगाना राज्य समिति के माओवादियों के वरिष्ठ कैडरों का गढ़ माना जाता है.
इस व्यापक अभियान में लगभग 24,000 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं, जिनमें विभिन्न इकाइयों के जवान शामिल हैं, जैसे कि जिला रिजर्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स, स्पेशल टास्क फोर्स (STF), राज्य पुलिस की सभी इकाइयां, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और इसकी elite यूनिट कोबरा (CoBRA).
इस अभियान को सरकार के छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को खत्म करने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है.