रायपुर: कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच देश के गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार की सुबह नवापारा शहर से लगे चम्पारण धाम में पहुंचकर महाप्रभु वल्लभाचार्य की प्रकट स्थली पहुंच कर दर्शन किया. केंद्रीय गृहमंत्री माना एयरपोर्ट से बीएसएफ के हेलीकॉप्टर से नवागांव पहुंचे. नवागांव से सड़क मार्ग से चंपारण प्रभु वल्लभाचार्य के दर्शन और पूजा के लिए वे चंपारण पहुंचे. उन्होंने लगभग 30 मिनट चंपारण में बिताया. इस दौरान उनकी धर्मपत्नी सोनल शाह साथ रहीं. चम्पारण के मंदिर बृजस्थलों में बने मंदिर की तर्ज पर बनाए गए हैं. गृह मंत्री अमित शाह का चंपारण से पुराना नाता है. इसके पहले अमित शाह 2001 में अपनी माताजी को लेकर चम्पारण आए थे. जब वे गुजरात की राजनीति में थे.
#WATCH | Chhattisgarh: Union Home Minister Amit Shah visited Mahaprabhu Vallabhacharya Ashram in Raipur. He also performed the puja of Champeshwar Mahadev. pic.twitter.com/j1QLSte7Op
— ANI (@ANI) August 24, 2024
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को सबसे पहले महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली चंपारण पहुंचे. मंदिर में महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य के मुख्य प्राकट्य बैठक के दर्शन किए और पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया. शाह के साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, सांसद बृजमोहन अग्रवाल साथ रहे. इसके बाद केंद्रीय मंत्री चम्पेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे. वहां भोले बाबा पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाकर आशीर्वाद लिया.
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥आज माननीय केंद्रीय गृहमंत्री श्री @AmitShah जी के साथ चंपारण में महाप्रभु वल्लभाचार्य जी के दर्शन-पूजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। महाप्रभु जी से समस्त प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि और… pic.twitter.com/azFCyYJXHK
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) August 24, 2024
उल्लेखनीय है कि जगद्गुरु की उपाधि प्राप्त महाप्रभु वल्लभाचार्य के देशभर में 84 बैठकें हैं, जहां उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता का पारायण किया था. इनमें से प्रमुख बैठक मंदिर चंपारण्य को माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि महाप्रभु ने अपने जीवनकाल में तीन बार धरती की परिक्रमा की थी. यहां पूजा-अर्चना के सारे नियम-धरम का पालन उसी तरह किया जाता है, जिस तरह से बृज के मंदिरों में पालन होता है. पंचकोसी का प्रमुख होने के साथ ही चंपारण वल्लभाचार्य की जन्मभूमि भी है जिनका संबंध गुजराती समाज से है. जिसके कारण बारहों महीने समाज की भीड़ यहां देखने को मिलती है.
|| जय चम्पेश्वर महादेव ||
आज माननीय केंद्रीय गृहमंत्री श्री @AmitShah जी के साथ चंपारण में चम्पेश्वर महादेव जी के दर्शन-पूजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। देवाधिदेव महादेव से समस्त प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा जी,… pic.twitter.com/K3H6Zl0smr
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) August 24, 2024
चंपारण में चंपेश्वर महामंदिर और महाप्रभु वल्लभाचार्य का मंदिर छत्तीसगढ़ में पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. इस मंदिर का पौराणिक महत्व है. मंदिर के व्यवस्थापक बताते हैं कि लगभग 550 साल पहले बनारस से महाप्रभु वल्लभाचार्य के पिता लक्ष्मण भट्ट और माता इल्लमा गारू मुगल शासन में किए जा रहे अत्याचारों से त्रस्त होकर दक्षिण दिशा की ओर पैदल यात्रा पर निकल पड़े. वे राजिम के समीप घनघोर जंगल में निर्मित चंपेश्वर धाम से गुजरे, जहां वल्लभाचार्य ने संतान के रूप में जन्म लिया। 1479 चैत मास कृष्ण पक्ष की एकादशी की रात्रि को जन्मे इस बालक का नाम वल्लभाचार्य रखा गया. उन्होंने वैष्णो समुदाय को प्रचारित और प्रसारित किया. चूंकि आठवें माह में ही उनका जन्म हुआ था, इसलिए जन्म के समय उन्होंने कोई हलचल नहीं की. माता-पिता ने उन्हें मृत समझ लिया और जंगल में ही पत्तों से ढंक कर चले गए.
रात्रि में श्रीनाथजी ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि तुम्हारी कोख से मैंने जन्म लिया है. सुबह उठते ही वे वापस चंपेश्वर धाम लौटे तो देखा कि बालक अग्नि कुंड में अंगूठा चूस रहा है. अग्नि कुंड के चारों ओर औघड़ बाबा भी बैठे थे. औघड़ बाबाओं को यकीन नहीं हुआ कि बालक उस दंपति का पुत्र है. इस पर माता ने श्रीनाथजी को याद किया और कहते है कि श्रीनाथजी ने दर्शन देकर औघड़ बाबाओं की शंका दूर की.
जिस स्थान पर वल्लभाचार्य जी का मंदिर स्थित है उस स्थल पर एक और पौराणिक मान्यता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस स्थान पर भगवान शिव की त्रिमूर्ति का अवतरण हुआ है. इस शिवलिंग में तीन रूपों का प्रतिनिधित्व है. ऊपरी हिस्सा गणपति का है, मध्य भाग शिव का और निचला भाग मां पार्वती का है. इसे त्रिमूर्ति शिव के नाम से पुकारा जाता है.
हिन्दुस्थान समाचार