कोरबा: कोरबा तहसील के बेला ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम दुधीटांगर के जंगल में दिनांक 13 अगस्त 2024 को जिला पुरातत्व संग्रहालय कोरबा के मार्गदर्शक एवं संस्कार भारती छत्तीसगढ़ के प्राचीन कला विधा के प्रांतीय संयोजक हरि सिंह क्षत्री द्वारा अपने सहयोगी भगत कोरवा के साथ मिलकर मेसोलिथिक काल-ताम्रपाषाण युग की एक प्राचीन गुफा की खोज की गई है. उन्होंने इस गुफा में 45 से अधिक शैलोत्कीर्ण चित्रों को खोजा है.
इन चित्रों में हिरण, सांभर, कुत्ता, बकरी, तेंदुआ, सियार के अलावा पदचिन्ह और मानवाकृति सहित ज्यामितीय चित्र भी मिले हैं. गुफा चित्रों की खोज के दौरान हरिसिंह ने इसकी जानकारी विश्व के सुप्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता पद्मश्री के. के. मोहम्मद , कर्नाटक के वरिष्ठ पुरातत्वविद् रवि कोरीसेट्टार , वाकणकर शोध संस्थान उज्जैन के पदाधिकारी व पुरातात्विक जानकार श्रीमती विनीता देशपांडे एवं स्थापत्य कला विशेषज्ञ इंद्रनील बंकापुरे कोल्हापुर को वीडियो कॉल के माध्यम से दी है.
इन सभी जानकारों ने इन चित्रों को अत्यंत महत्वपूर्ण मानकर हरि सिंह क्षत्री को इसके डॉक्यूमेंटेशन करने के आवश्यक निर्देश दिए तथा आसपास पाषाण कालीन लघु उपकरणों की खोज करने के भी निर्देश दिए. खोज के दौरान माइक्रोलिथ भी मिला. पद्मश्री के. के. मुहम्मद ने इन चित्रों को देखकर इसे मेसोलिथिक काल के होने की संभावना व्यक्त की जो लगभग ईसा पूर्व 4000 साल के हो सकते हैं. हरिसिंह द्वारा खोज की श्रृंखला में यह दूसरी गुफा है जिसमें इस प्रकार के चित्रों को खोजा गया है. इसके पूर्व दिनांक 25 नवंबर 2023 को बड़ी संख्या में ऐसे ही चित्रों की खोज हरिसिंह क्षत्री के द्वारा ग्राम पंचायत लेमरू के आश्रित ग्राम बढ़नी में की गई थी. जिसकी विधिवत् लिखित जानकारी कलेक्टर कोरबा को उनके द्वारा दी गई थी. इन दोनों शैलाश्रयों के बीच दूरी लगभग 30 किलोमीटर है, परंतु दोनों ही शैलाश्रयों के चित्रों में बहुत समानता है. विशेषज्ञों द्वारा दोनों ही शैलाश्रयों को मेसोलिथिक काल का माना जा रहा है.
कोरबा जिले में आदिमानवों के अनेक ठिकानों की खोज हरि सिंह क्षत्री द्वारा पूर्व में की गई है. जिसमें 25 चित्रित शैलाश्रयों के अलावा सैंकड़ों की संख्या में अचित्रित शैलाश्रयों की खोज भी शामिल है. उनके द्वारा पाषाण कालीन उपकरणों की खोज भी की जाती रही है जिसे जिला पुरातत्व संग्रहालय कोरबा में प्रदर्शित किया गया है.
शैलाश्रयों में चित्रित शैलचित्र हमारे पूर्वजों के जीवन की गाथा होते हैं : हेमन्त माहुलीकर
संस्कार भारती छत्तीसगढ़ के प्रांतीय महामंत्री हेमन्त माहुलीकर ने बताया कि हरि सिंह क्षत्री विगत लगभग 30 वर्षों से पुरातात्विक धरोहरों की खोज में सक्रिय हैं. संस्कार भारती छत्तीसगढ़ के प्रयासों से वाकणकर शोध संस्थान उज्जैन ने गत वर्ष कोरबा जिले में हरि सिंह क्षत्री की खोजों पर आधारित एक पुस्तक “हसदेव घाटी की पुरातात्विक संपदा (प्रथम सोपान) प्रकाशित की थी. देश के अनेक प्रदेशों के पुरातत्ववेत्ताओं ने इस पुस्तक की सराहना की। इसके अंतर्गत कोरबा जिले के पुरातात्विक महत्व के 15 स्थानों का सचित्र वर्णन है. हमारे इतिहास को जानने हेतु ये शोध अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. शैलाश्रयों में चित्रित शैलचित्र हमारे पूर्वजों के जीवन की गाथा होते हैं. पाषाण कालीन गुफाओं और शैलाश्रयों का भारतीय इतिहास से तादात्म्य स्थापित करने में हरि सिंह क्षत्री सक्षम हैं , क्योंकि उन्होंने इस क्षेत्र का पर्याप्त अध्ययन किया है. इनकी अगली पुस्तक के प्रकाशन हेतु कार्य जारी है.
हिन्दुस्थान समाचार