Tuesday, June 17, 2025
No Result
View All Result
Live 24 Chattisgarh

Latest News

‘टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा’ RSS प्रमुख डॉ मोहन भागवत

पहलगाम हमले पर RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत- ‘संकट में राष्ट्र की एकता और राजनीतिक परिपक्वता ही असली शक्ति’

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’

  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Business
    • Legal
    • History
    • Viral Videos
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
Live 24 Chattisgarh
  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Business
    • Legal
    • History
    • Viral Videos
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
No Result
View All Result
Live 24 Chattisgarh
No Result
View All Result

Latest News

‘टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा’ RSS प्रमुख डॉ मोहन भागवत

पहलगाम हमले पर RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत- ‘संकट में राष्ट्र की एकता और राजनीतिक परिपक्वता ही असली शक्ति’

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’

  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
  • लाइफस्टाइल
Home राष्ट्रीय

Opinion: वक्‍फ, विवादों का बोर्ड! संशोधन हो गया जरूरी

वक्‍फ बोर्ड बार-बार बेनकाब हो रहा है और इसकी असली मंशा खुलकर सामने आ रही है. फिर भी बेशर्मी इतनी अधिक है कि केंद्र की सरकार इसमें कुछ आमूलचूल परिवर्तन करना चाहती है तो इसका कांग्रेस-इंडी गंठबंधन समेत कई विपक्षी दल तुष्‍टिकरण के लिए सकारात्‍मक सुधारों का विरोध कर रहे हैं.

Manya Sarabhai by Manya Sarabhai
Aug 29, 2024, 04:40 pm GMT+0530
Waqf board

Waqf board

FacebookTwitterWhatsAppTelegram

वक्‍फ बोर्ड बार-बार बेनकाब हो रहा है और इसकी असली मंशा खुलकर सामने आ रही है. फिर भी बेशर्मी इतनी अधिक है कि केंद्र की सरकार इसमें कुछ आमूलचूल परिवर्तन करना चाहती है तो इसका कांग्रेस-इंडी गंठबंधन समेत कई विपक्षी दल तुष्‍टिकरण के लिए सकारात्‍मक सुधारों का विरोध कर रहे हैं. क्‍या किसी भी संपत्‍त‍ि को बिना जांच के वक्‍फ की घोषित कर देनी चाहिए? कम से कम संविधान तो यह अनुमत‍ि नहीं देता, किंतु वक्‍फ के अपने नियम हैं जो संविधान से भी ऊपर दिखाई देते हैं! तभी तो वह अनेक संपत्‍त‍ियों को हड़पता जा रहा है और अनेकों पर दावा ठोक रहा है. हालांकि कई बार वक्‍फ बोर्ड को कोर्ट से फटकार भी लगी है, उसके दावों को खारिज भी किया गया, जैसा कि अभी हाल ही में मध्‍य प्रदेश में हमने बुरहानपुर और भोपाल मामलों में देखा, फिर भी ये वक्‍फ बोर्ड है कि जमीनों पर कब्‍जा करने का कोई मौका छोड़ता नहीं दिखता. अब बिहार की राजधानी पटना के पास स्थित गोविंदपुर गांव में सुन्नी वक्फ बोर्ड के एक फरमान ने फिर से वक्‍फ की कार्रवाई पर प्रश्‍न खड़े किए हैं.

इस गांव में 90 प्रतिशत से अधिक हिंदू निवास करते हैं, जो कई दशकों से यहां रहते आ रहे हैं. लेकिन वक्फ बोर्ड का दावा है कि गांव की जमीन उसकी है. गांव वालों को 30 दिनों के भीतर जमीन खाली करने का नोटिस दिया गया है. इस प्रकरण में जूठ और मक्‍कारी की हद यह है कि ‘उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही गांव वालों के पक्ष में फैसला सुनाया जा चुका है, लेकिन वक्फ बोर्ड ने यहां लगा अपना बोर्ड ना हटाते हुए फिर से नोटिस जारी कर दिया.’ ग्रामवासियों का कहना है कि गांव के पिछले हिस्से में बने एक ईदगाह को लेकर विवाद है, पर वक्‍फ बोर्ड कुछ सुनने को तैयार नहीं . स्थानीय पार्षद जीतेंद्र कुमार बताते हैं कि गांव के पूर्व पार्षद जोकि वक्फ बोर्ड के सचिव हैं उन्होंने गांव की आधी बस्ती को वक्फ बोर्ड में डाल दिया है. डीएम जांच कर चुके हैं और उन्‍होंने भी वक्‍फ के दावों को निराधार पाया है, फिर यह बोर्ड अपने दावे पर कायम है.

इस्‍लाम के पैदा होने से पहले की भूमि-भवनों पर भी वक्‍फ बोर्ड कर रहा कब्‍जा

बिहार के इस गांव की तरह ही एक मामला तमिलनाडु से भी इसी प्रकार से सामने आ चुका है, एक पूरा हिंदू गाँव थिरुचेंथुरई, जो तिरुचि जिले में आता है . यहां 1500 साल पुराने मणेंडियावल्ली चंद्रशेखर स्वामी मंदिर की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने मालिकाना हक का दावा ठोका हुआ है. मंदिर के पास गांव और उसके आसपास 369 एकड़ जमीन है. यहां रहने वाले किसान राजगोपाल जब अपनी जमीन के कुछ भाग को दूसरे को बेचने के लिए विक्रय संबंधी औपचारिकताएं पूरा करने रजिस्ट्रार के दफ्तर पहुंचे तो उन्हें रजिस्ट्रार ने बताया कि तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने डीड्स विभाग को 250 पन्नों का एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि तिरुचेंदुरई गांव में कोई भी भूमि लेनदेन केवल उसके अनापत्ति प्रमाण-पत्र के बाद ही किया जा सकता है. वर्ष 2022 में सामने आए इस मामले का निराकरण वर्तमान 2024 के अगस्‍त माह तक भी नहीं किया गया है. भूमि पर वक्‍फ बोर्ड अपना अधिकार जता रहा है.

अब राजगोपाल ही नहीं पूरे ग्रामवासी सकते में हैं, क्‍योंकि गांव में 1600 साल पुराना हिंदू मंदिर भी वक्‍फ बोर्ड ने अपना बताया है, जबकि इस्लाम की उत्पत्ति ही सातवीं शताब्दी में हुई. एतिहासिक तथ्‍य यह है कि 622 ईस्वी में पैगंबर मुहम्मद यतुरिब शहर (मदीना) पहुंचे फिर सन् 630 में मक्का आए, इसके बाद मुस्लिम कबीले इस्लाम को लेकर दूसरे देशों में निकले. 8वीं शताब्दी ईस्वी तक यह सिंधु नदी तक ही आ सका था. उसके बाद वह भारत के अंदर के भाग में आते हुए11000 एवं 1200 ईसवी में वह हिन्‍दू राजाओं के साथ युद्धरत रहता है. सोचिए; जो इस्‍लाम पैदा ही 1400 साल पहले हुआ, वह 1600 साल पूर्व भारत के किसी मंदिर पर अपना दावा ठोक रहा है ? तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड इतने पर भी नहीं रुका . इस गांव के आसपास उसने अन्‍य 18 गांवों की जमीन पर भी अपना दावा किया है. क्‍या तमिलनाडु, बिहार ही वक्‍फ बोर्ड के निशाने पर है? इसकी तह में जाएं तो दिखाई देता है, देश के प्रत्‍येक राज्‍य में वक्‍फ के भूमि-भवन से जुड़े विवाद चल रहे हैं.

भगवान श्रीकृष्‍ण के धाम द्वारिका में अनेक जगह हो गईं वक्‍फ प्रॉपर्टी

हम सभी ने हाल ही में भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍मोत्‍सव बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाया है, लेकिन इन इस्‍लामवादी वक्‍फ बोर्ड के लोगों की बेशर्मी देखो; इन्‍होंने भगवान के धाम तक को नहीं छोड़ा . गुजरात के जिस क्षेत्र में भगवान श्री कृष्‍ण के साक्षात पद्चिह्न जहां जीवन्‍त हैं, उस द्वारिका में एक नहीं अनेकों वक्‍फ संपत्‍त‍ि घोषित कर दी गई हैं. यहां मुसलमानों का एक इस्‍लामिक गिरोह जमीन पर अवैध कब्जे को कानूनी जामा पहनाने के लिए उसे वक्फ बोर्ड से नोटिफाई करवा रहा है.

इस संदर्भ में देवभूमि द्वारका जिले के नवादरा गांव में स्थित हाजी मस्तान दरगाह मामले को देखें, रेवेन्यू रेकॉर्ड्स पर रामी बेन भीमा और रामसी भाई भीमा के नाम पर दर्ज खेती की जमीन के एक भाग पर 40-50 साल पहले एक छोटी मजार बना दी गई थी, जिसका कि तत्‍कालीन समय में विरोध हुआ था, फिर कहा गया कि यह स्‍थानीय मुसलमानों की भावना का प्रश्‍न है, जिसे देखते हुए हिन्‍दुओं ने मुसलमानों की भावनाओं का सम्‍मान रखा और उन्‍हें छोटी सी मजार बनाने के लिए जगह दे दी, लेकिन यह क्‍या? मजार का काम पूरा होते ही जो मुसलमान हाथ जोड़ रहे थे, वे आंखे दिखाने लगे! फिर समय बीतने के बाद अब यहां एक ट्रस्ट खड़ा करके उसे दरगाह में बदलकर वक्फ बोर्ड से नोटिफाई करवा दिया गया. सबसे बड़ी बात जितनी भूमि कभी दरगाह के लिए हिन्‍दू किसान से ली गई थी, उससे कहीं अधिक वर्तमान में घेर ली गई है. रेवेन्यू रेकॉर्ड्स में जहां दरगाह बनी है वह कृषि भूमि के रूप में ही दर्ज है. किंतु, अब विषय यह है कि आखिर वक्फ बोर्ड से सीधे टक्‍कर कौन सी सरकारी संस्‍था ले ? ऐसे में जमीन के मालिक अपना पक्ष लेकर दर-दर भटक रहे हैं और अपना कीमती समय, रुपया सभी कुछ बर्बाद कर रहे हैं, यदि वे भविष्‍य में जीत भी जाते हैं, तब भी उन्‍हें कहीं से कभी उनका यह रुपया वापिस नहीं मिलना है . भगवान कृष्‍ण के इस प्राचीनतम् स्‍थल द्वारिका समेत जामनगर जिलों में वक्‍फ बोर्ड पिछले दो सालों में 345 प्रॉपर्टी अपने नाम रजिस्टर्ड कर चुका है. यहां उसकी ये कार्रवाइयां इतनी तेज रहीं कि लोग कुछ समझ पाते, उसके पहले ही इन कोस्टल इलाकों में वक्फ बोर्ड प्रॉपर्टीज अपने खाते में चड़ा चुका था. ऐसे में कहना होगा, यदि आगे कुछ वक्‍त और यही आलम रहा तो हिन्‍दुओं की भूमि यहां ढूंढे से भी नहीं मिलेगी.

अलीगढ़ में मशहूर मीरा बाबा मठ, वक्‍फ बोर्ड के कब्‍जे का विवाद सबसे नया है

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में मशहूर मीरा बाबा मठ पर अवैध कब्जे का मामला हाल ही में सामने आया . आरोप है कि वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए इस मठ पर कब्जा करने की कोशिश की है. इसकी जानकारी होने पर अखंड हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक शर्मा ने इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत तहसील से मिली रिपोर्ट कलेक्‍टर को सौप कर न्‍याय दिलवाने का आग्रह किया है. ये रिपोर्ट बताती है कि अलीगढ़ के खेड़ा गांव में वक्फ बोर्ड की कोई जमीन नहीं है, जबकि वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी होने का दावा करने वाले यूनुस अली एवं अन्‍य मुसलमानों ने इस मठ को वक्फ की जमीन बताते हुए कब्जा करने की कोशिश की . यहां पिछले150 साल से भी अधिक समय से हिन्दू परिवार पूजा पाठ करते आ रहे हैं. हर वर्ष आषाढ़ माह में विशाल मेला लगता है, जिसमें कि विशेष तौर पर बच्चों का मुंडन संस्कार कराने कई स्‍थानों से हिन्‍दू श्रद्धालू आते हैं. वहीं शादीशुदा जोड़े बाबा के दरबार में आकर सुखद दांपत्य जीवन की कामना करते हैं. गांव खेड़ा के प्रधान अमित कुमार का कहना है कि मीरा बाबा मठ की जमीन ग्राम सभा की है और उस पर वक्‍फ बोर्ड द्वारा जबरन कब्जा किया जा रहा है.

मुसलमान भी हैं कई जगह वक्‍फ की कार्रवाई से दुखी

आज ऐसा भी नहीं है कि वक्‍फ बोर्ड की मनमानी से अकेले हिन्‍दू या अन्‍य गैर मुस्‍लिम ही परेशान हैं अनेक स्‍थानों पर समय-समय पर सामने आया है मुसलमान लोग भी कई जगह वक्‍फ की कार्रवाई से दुखी एवं परेशान हैं. अब यही देख लें, मध्‍य प्रदेश के इंदौर का यह प्रकरण है, इसमें निपानिया की खसरा नम्बर 170 की विवादित वक्फ जमीन को लेकर शाह परिवार ने अपने मालिकाना हक की बात कही . परिवार का कहना है कि 253 साल पहले यानी 1771 में दिल्ली में जो मुगल हुकुमत काबिज थी, उसके आदेश पर इंदौर रियासत के महाराज होलकर ने इनाम के रूप में 50 बीघा जमीन शाह परिवार को दी थी. निपानिया की उक्त जमीन भी इस 50 बीघा में शामिल बताई जा रही है और 1930 में होलकर रियासत ने फिर से शाह परिवार के पक्ष में सनद बनाकर भी दी थी और सरकारी मिसलबंदी और खसरा खतौनी में शाह परिवार का नाम इंद्राज रहा.

इस मामले में हाजी मोहम्मद हुसैन और शाहिद शाह का कहना है कि निपानिया की इस जमीन को 1968 में वक्फ भूमि के रूप में स्वघोषित कर दिया गया और इस तरह के किसी सर्वे की जानकारी उनको नहीं दी गई. शाह परिवार का आरोप है कि मप्र वक्फ बोर्ड के ओहदेदार भूमाफिया से मिलीभगत कर लगातार अवैध सौदे करते रहे हैं. गुजरात के जामनगर के दरबार गढ़ में स्थित रतन बाई मस्जिद मार्केट की कहानी इस बात की गवाह है कि कैसे कोई प्रॉपर्टी बक्फ बोर्ड में नोटिफाई होने के बाद उसका संचालन करने वाले ट्रस्ट उसका नाजायज फायदा उठाते हैं. सूरत में कई सरकारी इमारतें हैं, जिन पर वक्‍फ बोर्ड ने दावा कर रखा है, कहा ये जा रहा है कि सभी संपत्‍त‍ियां वक्‍फ की है, इन्‍हें खाली कर वक्‍फ बोर्ड को सौपा जाए.

हरियाणा में गुरुद्वारे की जमीन कब्‍जाने का षड्यंत्र

हरियाणा के एक गुरुद्वारे की जमीन को वक्‍फ बोर्ड ने अपना बताया है, यमुनानगर जिले के जठलाना गांव में उक्‍त गुरुद्वारा (सिख मंदिर) वाली जमीन है. जिसे बिना किसी से संवाद किए और जानकारी के वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया गया, जबकि इस जमीन पर किसी मुस्लिम बस्ती या मस्जिद के होने का कोई इतिहास नहीं मिलता है. ऐसा ही एक मामला सूरत का है. यहां मुगलीसरा में सूरत नगर निगम मुख्यालय को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था. इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि शाहजहां के शासनकाल के दौरान, इस संपत्ति को बेटी को वक्फ संपत्ति के रूप में दान दिया गया था, इसलिए यह वक्‍फ की प्रोपर्टी है. यानी 400 साल बाद भी इस दावे को सही ठहराने की कोशिशो की गईं हैं. हैदराबाद का पाँच सितारा होटल पर वक्‍फ ने अपना दावा ठोक दिया. बेंगलुरु में तथाकथित ईदगाह मैदान का विवाद ही कुछ इसी प्रकार का है, जिस पर वक्‍फ बोर्ड ने अपना दावा ठोक रखा है. असली मालिक अब न्‍यायालय के चक्‍कर लगा रहा है.

वक्‍फ बोर्ड कर रहा संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता अधिकार का उल्लंघन

वास्‍तव में ऐसे अनेकों प्रकरण है, जिसमें वक्‍फ बोर्ड अपनी मनमानी करते हुए किसी भी संपत्‍त‍ि पर अपना दावा ठोकता नजर आ रहा है. अब आगे यह सिद्ध करना उस व्‍यक्‍ति या परिवार का काम हो जाता है कि उक्‍त भूमि उसी की है जोकि वहां पहले से रह रहा होता है. कई बार उसे न्‍याय मिल जाता है लेकिन ज्‍यादातर मामले वक्‍फ के समर्थन में ही जाते हुए नजर आते है. क्‍योंकि वक्‍फ बोर्ड के निर्णय वक्‍फ ट्रिब्यूनल में तय होते हैं.

कहना होगा कि वक्फ अधिनियम 1995 और वक्फ न्यायशास्त्र आज जिस स्थिति में है, वह स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन कर रहा है . यह अधिनियम एक समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक प्रतिष्ठानों के एक वर्ग को बहिष्कृत करने के लिए प्रक्रियात्मक और वास्तविक सुरक्षा की एक विशेष प्रणाली बनाता है. हालांकि अब ऐसे कुछ मुकदमे सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच रहे हैं, पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने दो ऐसे निर्णय दिए हैं, जिन्हें कानूनविद् वक्फ बोर्ड के लिए झटका मान रहे हैं. जिसमें कि ‘वक्फ बोर्ड आफ राजस्थान बनाम जिंदल सॉ लिमिटेड अन्य.’ और दूसरा है ‘सलेम मुस्लिम कब्रिस्तान संरक्षण समिति बनाम तमिलनाडु राज्य सरकार.’

इन दोनों में पहले प्रकरण में कोर्ट ने कहा है कि बिना प्रमाण किसी ढांचे को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा. इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ कानून 1995 की धारा 3 का सहारा लिया है. वहीं, दूसरे मामले में न्‍यायालय का साफ कहना रहा, किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में चिन्हित करने से पहले उक्त संपत्ति का वक्फ अधिनियम, 1954 की धारा 4 के अंतर्गत सर्वेक्षण करना अनिवार्य है. इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने यह भी कहा कि वक्फ अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत किए गए सर्वेक्षण की अनुपस्थिति में अधिनियम की धारा 5 के तहत अधिसूचना जारी करने मात्र से वाद भूमि के संबंध में वैध वक्फ का गठन नहीं होगा. ‘सलेम मुस्लिम कब्रिस्तान संरक्षण समिति’ मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय पहुंची थी.

निरंकुश वक्‍फ बोर्ड पर जरूरी है कानूनी नकेल कसना
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में कोर्ट ने सरकारी जमीन पर बनी मदीना मस्जिद को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया है. इसे वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड बताया जा रहा था . हिन्दू संगठनों ने कई वर्षों तक सतत कानूनी लड़ाई लड़ी और बहुत पुख्‍ता सबूतों के आधार पर यह सिद्ध कर दिया कि मस्जिद को अवैध तरीके से बनाया गया . अब कोर्ट ने अपने गुरुवार 22 अगस्त, 2024 को जारी आदेश में मस्जिद की पैरवी कर रही कमिटी पर जुर्माना लगाया है. एक प्रकरण पिछले सप्‍ताह मप्र की राजधानी भोपाल के अति व्यस्त मार्ग हमीदिया रोड पर मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा निर्माण कराए जा रहे एक कमर्शियल कॉम्प्लेक्स को लेकर एसडीएम कोर्ट का निर्णय आया है. इसमें निर्माणाधीन कॉम्प्लेक्स वाले स्थान को सरकारी भूमि पर होना बताया गया है. इससे पहले यह मामला तहसीलदार की अदालत से भी वक्फ बोर्ड के खिलाफ जा चुका है. एसडीएम कोर्ट ने अपने फैसले में नगर निगम को इस कॉम्प्लेक्स को गिराने के आदेश जारी कर दिए हैं. साथ ही इस कार्रवाई में होने वाले खर्च की राशि बोर्ड से वसूल करने के लिए कहा गया है.

यहां ध्‍यान देने वाली बात यह है कि करोड़ों रुपये कीमत की बेशकीमती जमीन पर कॉम्प्लेक्स निर्माण का काम तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मरहूम आरिफ अकील के कार्यकाल में शुरू हुआ था. इस दौरान बोर्ड की व्यवस्था प्रशासक रिटायर आईएएस निसार अहमद के हाथ में थी. मौजूदा बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सनव्वर पटेल के कार्यकाल में निर्माणाधीन कॉम्प्लेक्स में दुकानों की नीलामी ओपन टेंडर प्रक्रिया के साथ की गई थी. हालांकि न्‍यायालय के आए निर्णय के बाद यहां वक्फ बोर्ड की मनमानी पर अंकुश लगता भी दिखा है. किंतु यह पर्याप्‍त नहीं है. ऐसे में जो केंद्र की सरकार नए नियमों के तहत वक्‍फ बोर्ड की शक्‍तियों को तय करना चाहती है, वह समय की मांग है. कांग्रेस की सरकार ने केंद्र में रहकर वक्‍फ बोर्ड को जिस तरह से असीमित शक्‍तियां देने का जो काम किया है, उसका ही ये परिणाम है जो आज जब चाहे जिस किसी की भी प्रोपर्टी पर वक्‍फ बोर्ड अपना अधिकार जता देता है, निश्‍चित ही ये तानाशाही और अराजकता हर हाल में बंद होनी चाहिए.

डॉ. मयंक चतुर्वेदी

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं.)

हिन्दुस्थान समाचार

Tags: Indian ConstitutionOpinionWaqfWaqf BoardWaqf Board Act
ShareTweetSendShare

RelatedNews

Mohan Bhagwat RSS
Latest News

‘टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा’ RSS प्रमुख डॉ मोहन भागवत

संघ प्रमुख भागवत शुक्रवार से छत्तीसगढ़ के पांच दिवसीय दौरे पर
Latest News

पहलगाम हमले पर RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत- ‘संकट में राष्ट्र की एकता और राजनीतिक परिपक्वता ही असली शक्ति’

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत
Latest News

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?
Latest News

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’
Latest News

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’

Latest News

Mohan Bhagwat RSS

‘टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा’ RSS प्रमुख डॉ मोहन भागवत

संघ प्रमुख भागवत शुक्रवार से छत्तीसगढ़ के पांच दिवसीय दौरे पर

पहलगाम हमले पर RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत- ‘संकट में राष्ट्र की एकता और राजनीतिक परिपक्वता ही असली शक्ति’

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’

डॉ. मोहन भागवत का बेबाक संदेश: आतंकवाद, धर्मांतरण और राष्ट्र निर्माण पर सीधी बात

डॉ. मोहन भागवत का बेबाक संदेश: आतंकवाद, धर्मांतरण और राष्ट्र निर्माण पर सीधी बात

RSS के ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग- द्वितीय’ का समापन समारोह, जानिए क्या बोले सरसंघचालक मोहन भागवत?

RSS के ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग- द्वितीय’ का समापन समारोह, जानिए क्या बोले सरसंघचालक मोहन भागवत?

भारत की दूसरी सबसे बड़ी खनिज उत्पादक राज्य छत्तीसगढ़ का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान

भारत की दूसरी सबसे बड़ी खनिज उत्पादक राज्य छत्तीसगढ़ का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान

ठाकुर प्यारेलाल सिंह: ‘छत्तीसगढ़ के गांधी’ का प्रेरणादायक जीवन और योगदान

ठाकुर प्यारेलाल सिंह: ‘छत्तीसगढ़ के गांधी’ का प्रेरणादायक जीवन और योगदान

नक्सलवाद पर सुरक्षाबलों का शिकंजा: ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ में बसवराज ढेर, 2025 में 180 नक्सलियों का हुआ सफाया

नक्सलवाद पर सुरक्षाबलों का शिकंजा: ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ में बसवराज ढेर, 2025 में 180 नक्सलियों का हुआ सफाया

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer
  • Sitemap

Copyright © Live-24-Chattisgarh, 2024 - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
  • About & Policies
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Terms & Conditions
    • Disclaimer
    • Sitemap

Copyright © Live-24-Chattisgarh, 2024 - All Rights Reserved.