गुवाहाटी:असम विधानसभा ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक अनिवार्य पंजीकरण विधेयक 2024 पारित कर दिया है. इस अधिनियम के तहत विवाह को पंजीकृत करना अनिवार्य होगा. मुख्यमंत्री डॉ सरमा ने इस विधेयक के पारित होने के बाद आज के दिन को ऐतिहासिक बताया.
आज असम की बेटियों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। असम विधानसभा ने मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 को पारित कर दिया है। इस नए कानून के लागू होने के बाद नाबालिका से विवाह की पंजीकरण एक कानूनी अपराध माना जाएगा। इसके अलावा, मुस्लिम विवाह की पंजीकरण अब काज़ी नही, सरकार करेगी।
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— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 29, 2024
असम विधानसभा में राज्य के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने मंगलवार को असम मुस्लिम विवाह और तलाक अनिवार्य पंजीकरण विधेयक पेश किया था. जिसे एक लंबी चर्चा के बाद विपक्ष की आपत्तियों का निराकरण करने के बाद पारित किया गया. सदन में विपक्ष के उठाए सवालों का मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने बड़ी बेबाकी के साथ जवाब दिया और विपक्ष की सभी शंकाओं का निराकरण किया. चर्चा के दौरान मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और एआईयूडीएफ के विधायकों ने अपनी आपत्तियों को सदन के पटल पर रखा. विपक्ष के प्रश्नों का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने कहा कि काजियों के किए गए विवाहों के सभी पूर्व पंजीकरण वैध रहेंगे और केवल नए विवाह ही कानून के दायरे में आएंगे. उन्होंने कहा, “हम मुस्लिम कार्मिक कानून के तहत इस्लामी रीति-रिवाजों से संपन्न विवाहों में बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. हमारी एकमात्र शर्त यह है कि इस्लाम द्वारा निषिद्ध विवाहों का पंजीकरण नहीं किया जाएगा.”
डॉ. सरमा ने कहा कि इस नए कानून के लागू होने से बाल विवाह पंजीकरण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा. उन्होंने कहा कि इस बिल के उद्देश्य और कारण के कथन में कहा गया है कि विधेयक बाल विवाह और दोनों पक्षों की सहमति के बिना विवाह की रोकथाम के लिए प्रस्तावित किया गया है. मंत्री जोगेन महन ने कहा कि इससे बहुविवाह पर रोक लगेगी, विवाहित महिलाओं को वैवाहिक घर में रहने, भरण-पोषण आदि के अपने अधिकार का दावा करने में सक्षम बनाया जाएगा और विधवाओं को अपने पति की मौत के बाद अपने उत्तराधिकार के अधिकार और अन्य लाभ और विशेषाधिकारों का दावा करने में सक्षम बनाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि यह विधेयक पुरुषों को विवाह के बाद पत्नियों को छोड़ने से भी रोकेगा और विवाह संस्था को मजबूत करेगा. इससे पहले, मुस्लिम विवाह काजियों द्वारा पंजीकृत किए जाते थे. हालांकि, यह नया विधेयक यह सुनिश्चित करेगा कि समुदाय के सभी विवाह सरकार के पास पंजीकृत होंगे.
हिन्दुस्थान समाचार