बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने हिजाब विवाद के केन्द्र में रहे उडुपी जिले के प्रिंसिपल बीजी रामकृष्ण को शिक्षक दिवस पर पुरस्कार दिए जाने पर रोक लगा दी है. प्रिंसिपल रामकृष्ण वर्ष 2022 में विवाद के केन्द्र में तब आए थे, जब उन्होंने हिजाब पहनकर कॉलेज आने वाली मुस्लिम छात्राओं के परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी थी.
बेंगलुरु में गुरुवार को राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ज्यादातर मामलों में जिला समिति आवेदन करने वालों की सूची में से पुरस्कार के लिए विशेष नाम चुनती है. उन्होंने कहा कि समिति ने नाम का चयन करते समय हिजाब विवाद को नजरअंदाज कर दिया. हमें बुधवार को इस मुद्दे के बारे में पता चला. इसके बाद हमने पुरस्कार दिए जाने पर रोक लगा दी. समिति से पुन: आवेदनों की जांच करने और जल्द से जल्द दाेबारा से नाम भेजने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि समिति को पुरस्कार के लिए प्रिंसिपल का चयन करने से पहले सभी चीजों की जाँच कर लेनी चाहिए थी.
मंत्री बंगारप्पा ने कहा कि उन्होंने बच्चों के साथ जैसा व्यवहार किया, वही असली समस्या है. पुरस्कार रोका जाना बदला लेने का विषय नहीं है. इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए.
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने भी रामकृष्ण को पुरस्कार से सम्मानित करने पर चिंता व्यक्त की है और आरोप लगाया है कि वह इस दौरान “सांप्रदायिक गतिविधियों” में शामिल थे.
प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के कर्नाटक महासचिव अफसर कोडलिपेट ने कहा है कि दो साल पहले हिजाब विवाद के बीच, उन्होंने छात्राओं को गेट पर रोक दिया और अप्रत्यक्ष रूप से हिंदू छात्रों को उनके खिलाफ भड़काया, जिससे राज्य में सांप्रदायिक अशांति फैल गई. इसके बावजूद, कांग्रेस सरकार अब उन्हें राज्य स्तरीय सम्मान दे रही है.
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2022 में उडुपी कॉलेज ने कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी. बाद में इस पर विवाद हुआ. वहीं राज्य की भाजपा सरकार ने इसके बाद शिक्षा परिसरों के अंदर हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था. इसमें कहा गया था कि “कोई भी कपड़ा जो समानता, अखंडता और कानून व्यवस्था को परेशान करेगा” उसको अनुमति नहीं दी जाएगी.
हिन्दुस्थान समाचार