बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य की आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि, राज्य सरकार को अपनी आबकारी नीति बनाने का पूर्ण अधिकार है, इसे चुनौती नहीं दी जा सकती.
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में शराब की दुकानों का संचालन और वितरण पहले 10 कंपनियों को दिया गया था। जिसे राज्य सरकार ने अपनी आबकारी नीति में बदलाव करते हुए स्वयं के नियंत्रण में ले लिया. जिसके बाद राज्य सरकार ने कंपनियों से जमा की गई राशि वापस लौटा दी है. साथ ही कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिया है. जिसे चुनौती देते हुए नार्थ ईस्ट फीड एंड एग्रो एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई. राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता के जवाब सुनने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन की नई आबकारी नीति को सही ठहराते हुए कंपनी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि राज्य शासन को अपनी आबकारी नीति बनाने का पूरा अधिकार है.
उल्लेखनीय है कि पहले विदेशी शराब की खरीद लाइसेंसधारियों के माध्यम से की होती थी. इस व्यवस्था को समाप्त करने के साथ ही सरकार ने छत्तीसगढ़ बेवरेज कॉरपोरेशन को विदेशी शराब की खरीद की जिम्मेदारी सौंपी है. साथ ही विदेशी शराब के थोक बिक्री और रखरखाव के लिए वर्तमान में जारी एफएल 10 एबी लाइसेंस की व्यवस्था को समाप्त करते हुए सीधे विदेशी शराब की थोक खरीद को मंजूरी दे दी है.
हिन्दुस्थान समाचार