नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के लिए एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ‘मालपे और मुल्की’ को मंगलवार को एक साथ कोच्चि में लॉन्च किया गया. समुद्री परंपराओं को ध्यान में रखते हुए दोनों जहाजों को दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल वी श्रीनिवास की उपस्थिति में उनकी पत्नी विजया श्रीनिवास ने लॉन्च किया. भारतीय नौसेना को ये ‘साइलेंट हंटर्स’ मिलने पर तटीय सीमाओं पर दुश्मनों की पनडुब्बियों का पता लगाने में आसानी होगी.
रक्षा मंत्रालय ने मेसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के साथ 30 अप्रैल, 2019 को आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे. इसी प्रोजेक्ट के तहत भारतीय नौसेना के लिए बनाए गए चौथे और पांचवें जहाज मालपे औरमुल्की को आज सीएसएल, कोच्चि में लॉन्च किया गया. समुद्री परंपराओं को ध्यान में रखते हुए दोनों जहाजों को दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल वी श्रीनिवास की पत्नी विजया श्रीनिवास ने अथर्ववेद के मंत्रोच्चारण के साथ लांच किया.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार माहे श्रेणी के एएसडब्ल्यू शैलो वाटर क्राफ्ट के नाम भारत के तट पर सामरिक महत्व के बंदरगाहों के नाम पर रखे गए हैं. इन जहाजों को स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक अंडरवाटर सेंसर से लैस किया जाएगा. इन जहाजों को तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियानों के साथ-साथ कम तीव्रता के समुद्री संचालन (एलआईएमओ) तथा खदान बिछाने के काम के लिए तैयार किया गया है. यह जहाज 1800 समुद्री मील तक की सहनशक्ति के साथ 25 समुद्री मील की अधिकतम गति प्राप्त कर सकते हैं. इन जहाजों में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी, जिससे देश के भीतर रोजगार की भी क्षमता बढ़ेगी.
इस प्रोजेक्ट के तीन जहाज माहे, मालवन और मंगरोल 30 नवंबर, 2023 को सीएसएल में लॉन्च किये गए थे. अब दो जहाज एक साथ लॉन्च किये जाने के बाद यह कार्यक्रम भारतीय शिपयार्ड की ‘मेक इन इंडिया’ क्षमता को दिखाता है. भारतीय नौसेना के लिए कुल 16 जहाजों का निर्माण किया जा रहा है. भारतीय नौसेना की योजना 2026 तक सभी 16 जहाजों को सक्रिय सेवा में रखने की है. एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाज 78 मीटर लंबे हैं और 25 समुद्री मील अधिकतम गति सहित इनका विस्थापन लगभग 900 टन है.
हिन्दुस्थान समाचार