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पहलगाम हमले पर RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत- ‘संकट में राष्ट्र की एकता और राजनीतिक परिपक्वता ही असली शक्ति’

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Opinion: एक-दूसरे के खून के प्यासे माओवादी

नक्सलियों का क्रूर चेहरा अब बेनकाब होने लगा है. छत्तीसगढ़ के वनवासियों से उनकी घृणा भी खुलकर सामने आ गई है. पूरे नक्सल इतिहास में वैसे भी कभी छत्तीसगढ़ मूल के लोगों को बड़े पद नहीं दिए गए हैं. उस पर भी जो किसी तरह निचले स्तर से ऊपर पहुंचे हैं, उनकी हत्या की जा रही है.

Manya Sarabhai by Manya Sarabhai
Sep 12, 2024, 04:34 pm GMT+0530
Naxalite

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नक्सलियों का क्रूर चेहरा अब बेनकाब होने लगा है. छत्तीसगढ़ के वनवासियों से उनकी घृणा भी खुलकर सामने आ गई है. पूरे नक्सल इतिहास में वैसे भी कभी छत्तीसगढ़ मूल के लोगों को बड़े पद नहीं दिए गए हैं. उस पर भी जो किसी तरह निचले स्तर से ऊपर पहुंचे हैं, उनकी हत्या की जा रही है. सबसे बड़ी बात तो ये है कि नक्सलियों के बड़े नेता छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को विश्वास के योग्य भी नहीं समझते. ताजा घटनाओं से इस बात की प्रबल पुष्टि होती है. यही कारण है कि माओवादी संगठन में कलह अब सतह पर दिखाई दे रही है.

ताजा मामला ये है कि तेलगू कैडर विजय रेड्डी एवं उनके साथियों ने राजनांदगांव-कांकेर बार्डर डिवीजन कमेटी के एसीएम विज्जा (निवासी दक्षिण बस्तर) की हत्या कर दी है. इस हत्या से साफ जाहिर होता है कि नक्सलियों के नेता बस्तर मूल के लोगों को केवल अपने पांव की जूती भर समझते रहे हैं. पहले तो आम ग्रामीणों को बंदूक की नोक पर जबरिया नक्सली बनाया जाता है, उनसे हत्याएं करवाई जाती हैं, ताकि वे अपराधी कहलाये और मुख्य धारा में न लौट पाएं. जीवन भर उनका शोषण किया जाता है और अंत में खुद नक्सली उनकी हत्या कर देते हैं. अब लगातार हो रही छत्तीसगढ़ पुलिस कार्रवाई से बौखलाए आंध्र कैडर के नक्सली छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को मौत के घाट उतार रहे हैं. यानी छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को उनके बड़े नेताओं द्वारा विश्वसनीय भी नहीं माना जाता. इस घटना से छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को बड़ा धक्का लगा है.

वर्ष-2024 में माओवादियों को पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने लगातार क्षति पहुंचाई है. लगातार हो रहे नुकसान से बौखलाए हुये माओवादियों में विद्रोह की स्थिति बन गयी है. नक्सलियों में विश्वासघात का डर भी उत्पन्न हो गया है. ऐसे में छत्तीसगढ़ पुलिस ने माओवादियों से आत्मसमर्पण कर अपने जान बचाने की अपील की है. बस्तर आईजी पी सुंदरराज के अनुसार वर्ष 2024 में बस्तर संभाग अंतर्गत माओवादियों के विरूद्ध की जा रही प्रभावी कार्यवाही के परिणामस्वरूप 153 से अधिक माओवादियो के शव विभिन्न मुठभेड़ के पश्चात सुरक्षा बलों द्वारा बरामद किये गए हैं. बस्तर पुलिस की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि पिछले आठ महीनों में बस्तर संभाग के अंतर्गत सुरक्षा बलों द्वारा तेलंगाना राज्य के निवासी माओवादी कैडर डीकेएसजेडसी सदस्य जोगन्ना, डीकेएसजेडसी सदस्य रंधीर, टीएससी सदस्य, सीआरसी कमाण्डर सागर, डीवीसीएम विनय उर्फ रवि जैसे शीर्ष माओवादी कैडर्स के शव विभिन्न मुठभेड़ के पश्चात बरामद किए गए.

छत्तीसगढ़ में अब तक चले एंटी नक्सल ऑपरेशन्स में ऐसा पहली बार हुआ है कि महाराष्ट्र राज्य निवासी माओवादी कैडर एसीएम संगीता उर्फ सन्नी तथा ओडिशा निवासी पीपीसीएम लक्ष्मी का भी शव मुठभेड़ के पश्चात बरामद किया गया. इस प्रकार बड़ी संख्या में अन्य प्रांत के रहने वाले शीर्ष माओवादी कैडर्स का नक्सल विरोधी अभियान के दौरान पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में मारा जाना छत्तीसगढ़ पुलिस की अब तक की बहुत बड़ी उपलब्धि है.

पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज सुन्दरराज पी. बताते हैं कि प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन द्वारा एक रणनीति के तहत सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान स्थानीय माओवादी कैडर्स को एक मानव सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करते हैं. मुठभेड़ों में स्थानीय नक्सलियों को मरने को छोड़ दिया जाता है और बाहरी राज्य के शीर्ष माओवादी कैडर्स द्वारा मौके का फायदा उठाकर अपनी जान बचाकर भाग जाते हैं. लेकिन हाल-फिलहाल में हुये मुठभेड़ों के दौरान बाहर राज्य के शीर्ष माओवादी कैडर्स की यह रणनीति विफल होते हुये नजर आ रही है.

पुलिस को विश्वनीय सूत्रो से मिल रही सूचना से यह बात सामने आ रही है कि वर्ष 2024 में तेलंगाना/ओडिशा/महाराष्ट्र एवं अन्य प्रांत के सीनियर कैडर्स की हो रही दुर्गति को देखते हुये माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व में खलबली मच गई है, जिससे बाहर के माओवादी कैडर्स द्वारा स्थानीय माओवादी कैडर्स के ऊपर संदेह एवं शक करते हुये, उन्हे कई प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है, जिससे माओवादी संगठन में विश्वासघात व विद्रोह की स्थिति निर्मित हो रही है. यही कारण है कि 6 सितम्बर, 2024 को जिला कांकेर के थाना परतापुर क्षेत्र अंतर्गत मलमपेंटा जंगल में राजनांदगांव-कांकेर डिवीजन के एसीएम विज्जा मड़काम को उन्हीं के खुद के माओवादी संगठन के नेतेलगू कैडर नेता विजय रेड्डी के इशारे पर माओवादियों ने संगठन के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाकर हत्या कर दी.

माओवादी शीर्ष नेतृत्व द्वारा माओवादी संगठन के इस अंदरूनी कलह से खुद के माअेावादी कैडर तथा जनता का ध्यान भटकाने के लिये खुद के द्वारा मारे नक्सलियों को पुलिस मुखबिर/क्रान्तिकारी विरोधी/संगठन की गद्दारी करने जैसे मनगढ़ंत कहानी बताते हुये झूठे एवं तथ्यविहीन प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा रही है.

पिछले दिनों माओवादी संगठन को बस्तर संभाग अंतर्गत दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी इलाके में भारी क्षति उठाना पडी है, जिसके कारण प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी संगठन अभी दिशा-विहीन एवं नेतृत्व विहीन हो चुका है. बाहरी प्रांत के शीर्ष माओवादी नेतृत्व विगत 30-40 वर्षा से स्थानीय माओवादी कैडर्स को सिर्फ एक मानव सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करते हुये करोड़ों-अरबो रुपयों की लूट-खसोट की गई है. अब स्थानीय माओवादी कैडर्स के सामने बाहरी माओवादी कैडर्स बेनकाब होते जा रहे हैं, जिसके कारण से मावोवादियों में आपस में विश्वासघात एवं विद्रोह की स्थिति बढ़ते जा रही है.

अब स्थानीय माओवादियों कैडर्स के पास हिंसा छोड़कर शासन के समक्ष आत्मसमर्पण करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है. बस्तर क्षेत्र के शांति, सुरक्षा एवं विकास के लिये यह उचित होगा की प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन कुछ शीर्ष कैडर तथा उनके गिने-चुने समर्थकों की साजिश/चंगुल से बाहर आकर माओवादी कैडर्स समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर सुरक्षित एवं विकसित बस्तर की भागीदारी बने.

माओवादी गुटों में बढ़ती आंतरिक कलह की कुछ प्रमुख घटनाएं

(1) बीजापुर के गंगालूर एरिया कमेटी की आंतरिक कलह: दिनांक 02 अक्टूबर 2020 को गंगालूर एरिया कमेटी के डीव्हीसीएम विज्जा मोड़ियाम और डीव्हीसीएम सचिव दिनेश के बीच गंभीर टकराव हुआ. इसके परिणामस्वरूप, दिनेश और उनके साथियों ने विज्जा की हत्या कर दी. यह टकराव क्षेत्र में निर्दोष आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार और हत्याओं को लेकर हुआ.

(2) बीजापुर के पामेड़ एरिया की घटना: 13 अगस्त 2024 को पामेड़ एरिया में नक्सल कम्युनिकेशन टीम के एसीएम पद पर कार्यरत मनीष कुरसम ऊर्फ राजू की मुखबिरी के आरोप में हत्या कर दी गई. मनीष सावनार के निवासी थे.

(3) तेलंगाना राज्य के कोट्टागुडेम जिले की घटना : 21 अगस्त 2024 को आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र में सीपीआई (माओवादी) पार्टी नेतृत्व ने महिला कैडर एसीएम राधा ऊर्फ नीलसो (उम्र 26) की पुलिस इनफार्मर होने के आरोप में हत्या कर दी. राधा सुरक्षा टीम कमांडर के रूप में कार्यरत थीं.

(4) राजनांदगांव-कांकेर बॉर्डर एरिया कमेटीः जिला कांकेर एवं मानपुर मोहला के सीमावर्ती क्षेत्र में सक्रिय माओवादी संगठन आरकेबीडी डिवीजन के प्रभारी तेलगू कैडर विजय रेड्डी के मनमानी हरकतों से स्थानीय कैडर को अनेक प्रकार के प्रताड़ना एवं परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बाहरी तेलगू नक्सली विजय रेड्डी के विरुद्ध स्थानीय माओवादी कैडर एसीएम राजू तथा उनकी पत्नी राजे मड़काम द्वारा सवाल जवाब करना शुरू कर दिया. इस परिस्थिति में दिनांक 06 सितम्बर, 2024 को जिला कांकेर के थाना परतापुर क्षेत्र अंतर्गत मलमपेंटा जंगल में राजनांदगांव-कांकेर डिवीजन के एसीएम विज्जा मड़काम को उन्हीं के खुद के माओवादी संगठन के ने तेलगू कैडर विजय रेड्डी के ईशारे पर माओवादियों ने संगठन के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाकर हत्या कर दी गई.

(लेखिका, वरिष्‍ठ पत्रकार एवं स्‍तम्‍भकार हैं.)

प्रियंका कौशल

हिन्दुस्थान समाचार

Tags: BijapurMahrashtraMoaistsNaxalistOdishaOpinionTeleganaTOP NEWS
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