बिलासपुर: राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नवा रायपुर प्रोजेक्ट के 500 एकड़ जमीन अधिग्रहण के मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने आज किसानों के पक्ष में फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने कहा है कि एनआरडीए को किसानों से फिर से समझौता करना होगा. नए कानून के तहत 75 प्रतिशत विस्थापित हो रहे भूमि स्वामी किसानों की सहमति आवश्यक है.
कोर्ट के फैसले के बाद अब सरकार और एनआरडीए को भूमि स्वामी किसानों के साथ बातचीत करनी होगी. कोर्ट के फैसले के बाद अब नया रायपुर योजना भी खटाई में पड़ते दिखाई दे रही है. कोर्ट के आदेश के बाद नए सिरे से प्रक्रिया प्रारंभ होने से जमीन अधिग्रहण में विलंब होने की संभावना भी जताई जा रही है. विलंब होने के साथ ही निर्माण लागत और योजना मद में भी बढ़ाेतरी की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता. किसानों की सहमति के बिना सरकार योजना आगे नहीं बढ़ सकती.
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा भू अर्जन अधिनियम के तहत शुरू की गई प्रक्रियाओं पर भी नए कानून का प्रभाव पड़ेगा. धारा 6 का प्रकाशन एक जनवरी 2014 से पहले किया गया था. लिहाजा भूविस्थापितों को भूअर्जन अवार्ड एक वर्ष के भीतर करना था. समय सीमा के बाद किया गया भू अर्जन अवार्ड शून्य माना जाएगा. एनआरडीए को किसानों से फिर से समझौता करना होगा. नए कानून के तहत 75 फीसदी किसानों की सहमति जरूरी है.
नवा रायपुर किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह तो एक रीको गांव पर आया फैसला है. नवा रायपुर के हजारों एकड़ जमीन अधिग्रहण से संबंधित करीब 96 याचिकाएं कोर्ट में लगी है. किसानों की अन्य याचिकाओं पर अभी फैसला बाकी है. हमने तो कई बार सरकार से बातचीत कर समाधान निकालने का प्रयास किया है, लेकिन वर्तमान सरकार की ओर से अभी बातचीत नहीं हो रही है. भाजपा की सरकार बनने के बाद हमने पर्यावास मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात भी की थी. मंत्री ने जल्द ही बैठक करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक कोई बैठक नई सरकार के साथ नवा रायपुर के किसानों की नहीं हुई है. उम्मीद है हाईकोर्ट के रास्ते ही किसानों की मांग और समस्याओं पर निर्णय होगा.
हाईकोर्ट के फैसले की प्रमुख बातें
1. पुराने भू अर्जन अधिनियम के तहत शुरू की गई प्रक्रियाओं पर भी नए कानून का प्रभाव पड़ेगा.
2. धारा 6 का प्रकाशन 01जनवरी 2014 से पहले किया गया था, तो भू अर्जन अवार्ड एक वर्ष के भीतर करना था.
3. समय सीमा के बाद किया गया भू अर्जन अवार्ड शून्य हो जाएगा.
4. एनआरडीए को किसानों से फिर से समझौता करना होगा, क्योंकि नए कानून के तहत 75 प्रतिशत किसानों की सहमति जरूरी है.
हिन्दुस्थान समाचार