नई दिल्ली: इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने कहा कि भारतीय स्टील का भविष्य उज्ज्वल है. वैश्विक इस्पात उत्पादन 2 बिलियन टन के करीब पहुंच गया है. वित्त वर्ष 2024 में 144 मिलियन टन उत्पादन के साथ भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है. आने वाले समय में भारत और वैश्विक स्तर पर स्टील की मांग बढ़ती रहेगी.
इस्पात एवं भारी उद्याेग राज्यमंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने शनिवार को यशोभूमि में हाइव इंडिया लिमिटेड, आईआईएम दिल्ली चैप्टर, मेटालॉजिक पीएमएस और वर्ल्ड मेटल फोरम द्वारा आयोजित “धातु उत्पादन में प्रक्रिया एवं उत्पाद नवाचारों” पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और हरित इस्पात उत्पादन पर एमएमएमएम 2024 का उद्घाटन किया. उन्होंने भारतीय धातु संस्थान-दिल्ली चैप्टर द्वारा आयोजित धातु उत्पादन में प्रक्रिया और उत्पाद नवाचारों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के सम्मेलन खंड व स्मारिका का विमोचन किया.
समारोह में भूपतिराजू ने कहा कि स्टील सेक्टर महत्वपूर्ण मोड़ पर है। इसके भविष्य की दिशा डिजिटलीकरण और पर्यावरण पर कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए टिकाऊ स्टील उत्पादन पर आधारित होगी। उन्होंने उद्याेग प्रतिनिधियाें को याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 नवंबर, 2021 को COP26 में वादा किया था कि भारत 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45 प्रतिशत से अधिक कम कर देगा और वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य प्राप्त कर लेगा। उन्होंने इस मौके पर कहा कि वैश्विक इस्पात क्षेत्र औसतन कुल उत्सर्जन का 8 प्रतिशत हिस्सा है, जिसमें उत्पादित कच्चे इस्पात के प्रति टन 1.89 टन CO2 की उत्सर्जन तीव्रता है। हालांकि, भारत में यह क्षेत्र कुल उत्सर्जन में लगभग 12 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसमें प्रति टन कच्चे इस्पात के उत्पादन पर 2.5 टन CO2 की उत्सर्जन तीव्रता होती है.
हिन्दुस्थान समाचार