Tuesday, June 17, 2025
No Result
View All Result
Live 24 Chattisgarh

Latest News

‘टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा’ RSS प्रमुख डॉ मोहन भागवत

पहलगाम हमले पर RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत- ‘संकट में राष्ट्र की एकता और राजनीतिक परिपक्वता ही असली शक्ति’

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’

  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Business
    • Legal
    • History
    • Viral Videos
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
Live 24 Chattisgarh
  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Business
    • Legal
    • History
    • Viral Videos
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
No Result
View All Result
Live 24 Chattisgarh
No Result
View All Result

Latest News

‘टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा’ RSS प्रमुख डॉ मोहन भागवत

पहलगाम हमले पर RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत- ‘संकट में राष्ट्र की एकता और राजनीतिक परिपक्वता ही असली शक्ति’

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’

  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
  • लाइफस्टाइल
Home राष्ट्रीय

विजयादशमी पर विशेष Opinion: लोक मानस में रामराज्य

किसी भी समाज के विकास में नेतृत्व की विशेष भूमिका होती है. नेतृत्व के प्रतिमानों की भारतीय परम्परा में श्रीराम एक ऐसे प्रजावत्सल और पराक्रमी शासक के रूप में प्रतिष्ठित हैं जो नैतिक मानदंडों के लिए पूरी तरह से समर्पित है

Manya Sarabhai by Manya Sarabhai
Oct 11, 2024, 05:09 pm GMT+0530
Raam Parivaar

Raam Parivaar

FacebookTwitterWhatsAppTelegram

किसी भी समाज के विकास में नेतृत्व की विशेष भूमिका होती है. नेतृत्व के प्रतिमानों की भारतीय परम्परा में श्रीराम एक ऐसे प्रजावत्सल और पराक्रमी शासक के रूप में प्रतिष्ठित हैं जो नैतिक मानदंडों के लिए पूरी तरह से समर्पित है और उनकी रक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ता. उनके रामराज्य की छवि इसलिए प्रसिद्ध और लोकप्रिय है कि उसमें आम जन को किसी भी तरह के ताप या कष्ट नहीं अनुभव करने पड़ते थे न भौतिक, न दैहिक न दैविक. यदि आज की शब्दावली में कहें तो ‘जीवन की गुणवत्ता’ उच्च स्तर की थी और ‘मानव विकास सूचकांक’ भी आदर्श स्तर का था. लोग सुखी और समृद्ध थे. श्रीराम लोक-जीवन के प्रति अत्यंत संवेदनशील थे और लोक-हित ही उनका सर्वोपरि सरोकार था। उनको अपना नेता पा कर सभी वर्ग धन्य थे। ऐसा नेतृत्व प्रदान करने के लिए बड़ी तैयारी हुई थी। विभिन्न कौशलों में सक्षम श्रीराम को बाल्यावस्था से ही प्रशिक्षण मिल रहा था. वे एक तपस्वी की भाँति साधना कर रहे थे. उनको एक लम्बे कंटकाकीर्ण जीवन-पथ पर चलना पड़ा, उन्हें अनेक दुःख झेलने पड़े थे और बड़ी जीवट के साथ बहुत कुछ सहन करते हुए अपने में प्रतिरोध की क्षमता भी विकसित करनी पड़ी थी. वे एक प्रतिष्ठित राजपरिवार में जन्मे थे। राजपुत्र थे और वह भी सबमें ज्येष्ठ. ऐसा होने पर भी उन्हें किसी तरह की छूट नहीं थी उल्टे विधि का विधान कुछ ऐसा हुआ कि युवा श्रीराम को राजपाट मिलते-मिलते रह गया। सिंहासन की जगह अनिश्चित जीवन जीने के लिए चौदह वर्षों के लिए लम्बे वनवास को जाना पड़ा. यह सब अकस्मात् हुआ. उस अवधि में श्रीराम को जीवन की एक से एक कठोर वास्तविकताओं से और चुनौतियों से जूझना पड़ा.

श्रीराम ने अपने जीवन में आने वाले सभी विपर्ययों को बड़ी सहजता से स्वीकार किया और अपने मन में किसी के प्रति कुंठा या क्षोभ का भाव नहीं पाला। ये अनुभव उनको और परिपक्व करने वाले सिद्ध हुए। श्रीराम की निर्मिति में उनके ऊबड़-खाबड़ वनवासी जीवन के विभिन्न अनुभवों की बड़ी ख़ास भूमिका रही. इस दौरान वे विभिन्न वर्गों के लोगों से मिले, भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में क़िस्म-क़िस्म की कठिनाइयों को झेला। ईर्ष्या, विश्वास, प्रतिस्पर्धा, प्रेम, घृणा, मैत्री, क्षमा, और विनय आदि के मनोभावों और रिश्तों-नातों का निकट से प्रत्यक्ष अनुभव करते हुए उन्होंने मनुष्य जीवन में होने वाले उतार-चढ़ाव का अर्थ समझा. अनेक मित्र बनाए और साथ ही राज-काज की बारीकियों का अभ्यास भी किया. उनको मनुष्य जीवन की सीमाओं और संभावनाओं को पहचानने का और उनकी जटिलताओं को सीखने का अवसर मिला. त्याग, संयम और संतोष के साथ आत्म-नियंत्रण विकसित हुआ। मित्र, शत्रु, गुरु, भ्राता, पत्नी सबकी भूमिकाओं को देखते-परखते श्रीराम को भाँति-भाँति के निर्णय भी लेने पड़े. उनकी शक्ति और क्षमता संवर्धित होती रही.दूसरे अर्थों में उन्हें सतत चौकसी के साथ अपना मार्ग स्वयं बनाना पड़ा. समूहों से जोड़ना और जुड़ना उनकी जीवन-यात्रा का मुख्य उपक्रम था. जैसा कि सर्वविदित है वनवास की चरम परिणति राम-रावण के अद्भुत युद्ध में हुई जो अभूतपूर्व था और किसी अन्य युद्ध से उसकी तुलना नहीं की जा सकती- रामरावणयोर्युद्ध: रामरावणयोरिव. अंतत: अत्यंत प्रतापी पर अहंकारी दशानन रावण युद्ध परास्त हुआ, उसका कुल नष्ट हुआ और उसकी स्वर्णजटित लंका को भी अपार क्षति हुई. श्रीराम की यह विजय उनके नेतृत्व और शक्ति संधान की परिणति थी. श्रीराम की शक्ति पूजा लोक-प्रसिद्ध हुई. यह अवसर जन-जन के उल्लास का एक अप्रतिम और अविस्मरणीय आख्यान बन गया. विजयादशमी का पर्व उसी जन-उल्लास की अभिव्यक्ति है.

आज श्रीराम की विजय रावण-दहन के प्रतीकात्मक कृत्य से जुड़ गई है। इस दिन राम के पराक्रम का बारम्बार स्मरण कर बच्चे बूढ़े सभी लोग आनंदित होते हैं. यह क्षण रोमांचकारी होता है और सबको प्रतिवर्ष प्रतीक्षा भी रहती है. भक्ति-भाव के साथ ही यह आशा और साध भी मन में बनी रहती है कि जीवन में व्याप्त हो रहे दुराचार और अनाचार के विविध रूप भी रावण के पुतले के दहन के साथ समाप्त हो जाएँगे. पर हम सब साक्षी हैं जीवन की परिस्थितियों के बीच नकारात्मक शक्तियाँ सिर उठाती ही रहती हैं.

वस्तुतः रावण का विनाश श्रीराम की लोक यात्रा का एक मुख्य प्रस्थान बिंदु है जहां से उस यात्रा का नया अध्याय शुरू होता है. स्मरणीय है कि रावण पर विजय पाने के बाद श्रीराम को लोक-कल्याण के लक्ष्य भेदने थे और उसके लिए वे मनोयोग से लगे रहे। यह कार्य सुगम नहीं था परंतु राजा श्रीराम ने शासन को जिस भाँति ग्रहण किया और कुशलतापूर्वक संपन्न किया वह सभी लोगों के मन में बस गया और उनका शासन विलक्षण रूप से स्वस्ति और आश्वस्ति का प्रतीक था. राम-राज्य सुशासन का एक प्रतिमान ही स्थापित हो गया. शासक श्रीराम के जीवन का एक बड़ा महत्वपूर्ण अध्याय उनके द्वारा किए जाने वाले लोक-संग्रह के कार्य से जुड़ा है. शासन से जुड़ कर लोक-जीवन को उत्तम बनाने और सामाजिक उन्नति के लिए उनका सक्रिय और कर्मठ जीवन लोक स्मृति का अंग बन कर मानवता के लिए प्रेरक बन गया. गोस्वामी तुलसीदास के शब्दों में दैहिक दैविक भौतिक तापा राम राज्य काहू नहिं ब्यापा. इसका रहस्य और फलश्रुति थी की स्थिति थी– सब नर करहिं परस्पर प्रीती चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती. राष्ट्रपिता के मन में भी राम-राज्य की एक प्रीतिकर छवि बनी थी और वे स्वाधीन भारत में उसकी स्थापना का स्वप्न देख रहे थे.

वस्तुतः समाज की विशिष्ट संस्कृति के अनुकूल नायक और नेतृत्व की अवधारणा सब के लिए सहज में प्रेरक होती है. जीवन के हर क्षेत्र में जनता नेतृत्व की ओर उन्मुख रहती है जैसा कि इस प्रचलित उक्ति में व्यक्त है- महाजनो येन गत: स पंथा:. श्रेष्ठ जन या नेतृ वर्ग शेष जनता के लिए मार्ग दर्शक जैसा होता है और लोग उनका अनुकरण करते हैं. श्रीमद्भगवद्गीता का यह विचार इसी तथ्य कि ओर संकेत करता है- यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:. स यत्प्रमाणम् कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥ ( गीता 3-21) श्रेष्ठ मनुष्य जो-जो आचरण करता है, दूसरे लोग वैसा-वैसा ही आचरण करते हैं. वह जो कुछ प्रमाण कर देता है, दूसरे मनुष्य उसी के अनुसार चलते हैं। यह तथ्य कि नेतृत्व गुणों और नेतृत्व की प्रक्रियायें प्रत्येक संगठन के संचालन के लिए अपरिहार्य हैं संगठनों के अध्ययन में अनेकश: प्रतिपादित की जाती रही है. आधुनिक प्रबंध विज्ञान का यह एक प्रमुख प्रश्न है जिस पर शोध की प्रमुख परम्पराएँ विकसित हुई हैं. बीसवीं सदी के पूर्वाध में पश्चिमी जगत में अनुसंधान और विचार-विमर्श की पहल शुरू हुई. अब व्यक्ति, परिस्थिति और उनके बीच की अंत क्रिया को केंद्र में रख कर नेतृत्व के माडल, सिद्धांत और प्रशिक्षण के उपाय ढूँढे जाते रहे. जापान की सांस्कृतिक संवेदना भिन्न क़िस्म की थी और वहाँ उसका उपयोग कर भिन्न नेतृत्व शैली अपनाई गई. उसके बड़े सार्थक परिणाम पाए गए. वहाँ की उत्पादकता और आर्थिक उन्नति आश्चर्यजनक ढंग से दर्ज हुई है. क्षरणशील परिस्थितिकी और असुरक्षा और महायुद्ध की विभीषिका सहने के बाद वहाँ की असाधारण उन्नति चकित करने वाली है.

भारतीय सांस्कृतिक परम्परायें और पारिस्थितिकी भिन्न प्रकार की है। सत्य और शील से युक्त आचारसंपन्न श्रीराम का नेतृत्व नैतिक मूल्यों को सर्वोपरि प्रतिष्ठित करता है. विजयादशमी के उत्सव मनाने की सार्थकता उन मूल्यों का स्मरण करने और जीवन में प्रतिष्ठित करने में है जिनकी अभिव्यक्ति श्रीराम के कार्यों में प्रकट होती है. आज के कठिन समय में लोक-कल्याण के साथ प्रतिबद्धता की जगह मात्र स्वार्थ-सिद्ध करने के लिए राजनीति आम बात हो गई है. यह किसी के लिए किसी भी तरह श्रेयस्कर नहीं है. आज हर कदम पर राजनीति (आम तौर पर) भरोसे को तोड़ने वाली हो रही है और राजनीतिज्ञ अविश्वसनीय होते जा रहे हैं क्योंकि वह ज़्यादातर असत्य का सहारा ले रहे हैं. उनको यह भूल प्रतिज्ञा गया है कि प्रजा के सुख में ही राजा का सुख होता है. उसे देश और समाज का ख़्याल भी नहीं रहता और अपने स्वार्थ के लिए तर्क गढ़ता रहता है और अपने को सुरक्षा देते रहने की कोशिश करता है. विजया दशमी का पर्व सिर्फ़ रोशनी की चकाचौंध पैदा कर पटाखों के शोर में रावण दहन करने का अवसर नहीं है. वह अपनी कमज़ोरियों पर विजय के लिए भी आमंत्रित करता है.वह राम बानाने के लिए न्योता देता है. हमें अपने भीतर उठते-बैठते रावण पर विजय पानी होगी. ऐसा न करना हमारे लिए आत्मघाती होगा. भारतवासियों को वेद में अमृतपुत्र कहा गया है. आज इस अमृतत्व की रक्षा का संकल्प लेना ही श्रीराम के स्मरण को सार्थक बनाएगा.

(लेखक, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि, वर्धा के पूर्व कुलपति हैं।)
गिरीश्वर मिश्र
हिन्दुस्थान समाचार

Tags: Dussehra 2024Dussehra SpecialRaam RajyaTOP NEWSVijayDashmi
ShareTweetSendShare

RelatedNews

Mohan Bhagwat RSS
Latest News

‘टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा’ RSS प्रमुख डॉ मोहन भागवत

संघ प्रमुख भागवत शुक्रवार से छत्तीसगढ़ के पांच दिवसीय दौरे पर
Latest News

पहलगाम हमले पर RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत- ‘संकट में राष्ट्र की एकता और राजनीतिक परिपक्वता ही असली शक्ति’

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत
Latest News

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?
Latest News

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’
Latest News

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’

Latest News

Mohan Bhagwat RSS

‘टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा’ RSS प्रमुख डॉ मोहन भागवत

संघ प्रमुख भागवत शुक्रवार से छत्तीसगढ़ के पांच दिवसीय दौरे पर

पहलगाम हमले पर RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत- ‘संकट में राष्ट्र की एकता और राजनीतिक परिपक्वता ही असली शक्ति’

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है: आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?

RSS ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कार्यक्रम: जानिए मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने क्या कहा?

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’

चर्चिल की कहानी से मोहन भागवत का संदेश: ‘जनता ही राष्ट्र की ताकत’

डॉ. मोहन भागवत का बेबाक संदेश: आतंकवाद, धर्मांतरण और राष्ट्र निर्माण पर सीधी बात

डॉ. मोहन भागवत का बेबाक संदेश: आतंकवाद, धर्मांतरण और राष्ट्र निर्माण पर सीधी बात

RSS के ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग- द्वितीय’ का समापन समारोह, जानिए क्या बोले सरसंघचालक मोहन भागवत?

RSS के ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग- द्वितीय’ का समापन समारोह, जानिए क्या बोले सरसंघचालक मोहन भागवत?

भारत की दूसरी सबसे बड़ी खनिज उत्पादक राज्य छत्तीसगढ़ का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान

भारत की दूसरी सबसे बड़ी खनिज उत्पादक राज्य छत्तीसगढ़ का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान

ठाकुर प्यारेलाल सिंह: ‘छत्तीसगढ़ के गांधी’ का प्रेरणादायक जीवन और योगदान

ठाकुर प्यारेलाल सिंह: ‘छत्तीसगढ़ के गांधी’ का प्रेरणादायक जीवन और योगदान

नक्सलवाद पर सुरक्षाबलों का शिकंजा: ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ में बसवराज ढेर, 2025 में 180 नक्सलियों का हुआ सफाया

नक्सलवाद पर सुरक्षाबलों का शिकंजा: ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ में बसवराज ढेर, 2025 में 180 नक्सलियों का हुआ सफाया

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer
  • Sitemap

Copyright © Live-24-Chattisgarh, 2024 - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
  • About & Policies
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Terms & Conditions
    • Disclaimer
    • Sitemap

Copyright © Live-24-Chattisgarh, 2024 - All Rights Reserved.