नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य तनातनी को समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच सहमति बन गई है. दोनों पक्षों में सीमा क्षेत्र में गश्त करने के बारे में समझौता हो गया है. इससे सैनिक मोर्चे पर आमने-सामने की तैनाती खत्म होगी. राजनयिक और सैन्य स्तर पर पिछले कई महीनों से जारी विचार-विमर्श के आधार पर यह सहमति बनी है. इससे अब भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय वार्ता का भी रास्ता खुल गया है.
विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ब्रिक्स यात्रा से पूर्व आयोजित पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पिछले कई हफ्तों में हुई चर्चाओं के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर एक सहमति बनी है. इससे अग्रिम मोर्चे पर तैनाती खत्म होगी और अंततः 2020 में जिन क्षेत्रों में मुद्दे उठे थे, उनका समाधान निकाला जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी की कजान (रूस) यात्रा से ठीक पहले विदेश सचिव की ओर से यह घोषणा की गई, जिससे भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय वार्ता का रास्ता साफ हो गया है. प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछली द्विपक्षीय शिखरवार्ता अक्टूबर 2019 में महाबलीपुरम में हुई थी. मई 2020 में लद्दाख मे सैन्य मुठभेड़ के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात बिगड़ गए थे.
चीन की ओर से बड़ी संख्या सैनिकों की तैनाती की गई थी, जिसके जवाब में भारत ने भी सैन्य तैनाती की थी. गलवान घाटी में सैन्य संघर्ष में दोनों ओर से कई सैनिक हताहत हुए थे. उसके बाद कोई बड़ी झड़प नहीं हुई लेकिन अग्रिम मोर्चों पर सैन्य तैनाती के कारण संघर्ष की आशंका बनी रही. दोनों पक्षों की ओर से सघन राजनयिक और सैनिक विचार-विमर्श के कारण कई क्षेत्रों में सैनिकों की अग्रिम तैनाती खत्म करने पर सहमति बनी. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में अग्रिम तैनाती कायम थी, जिससे तनाव की स्थिति बनी हुई थी.
विदेश सचिव मिस्त्री के अनुसार अब पूरे क्षेत्र में सैनिक गश्त के तौर तरीकों पर सहमति बनी है, जिससे विवाद के सभी मुद्दों का समाधान हो सकेगा.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 23 और 24 अक्टूबर को रूस के दौरे पर रहेंगे. रूस की अध्यक्षता में कजान में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित किया है. यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ब्रिक्स सदस्य देशों के अपने समकक्षों और आमंत्रित नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कर सकते हैं.
विदेश सचिव ने कजान में प्रधानमंत्री-मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता होने के संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं दी. हालांकि, उन्होंने कहा कि कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता प्रस्तावित है, उनके बारे में यथा समय जानकारी दी जाएगी. राजनयिक सूत्रों के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बनी सहमति के बाद पूरी संभावना है कि दोनों नेता ब्रिक्स शिखरवार्ता के इतर द्विपक्षीय वार्ता करें.
कजान में प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच भी द्विपक्षीय वार्ता प्रस्तावित है. रूस की ओर से इस वार्ता का सुझाव दिया गया था.
16वीं ब्रिक्स शिखरवार्ता में इस संगठन के प्रारंभिक पांच सदस्य देशों भारत, चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के अलावा पांच नए सदस्य देश ईरान, सउदी अरब, यूएई, इथोपिया और मिस्र भी शामिल होंगे. इसके अलावा कुछ अन्य देशों को पर्यवेक्षक के तौर पर आमंत्रित किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी 24 अक्टूबर को ब्रिक्स की विस्तारित बैठक में भाग नहीं लेंगे. उनकी ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर इसमें शामिल होंगे.
ब्रिक्स सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब पश्चिम एशिया में हालात गंभीर हैं तथा एक बड़े क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका बनी हुई है. रूस और यूक्रेन का संघर्ष भी जारी है, जिसके कारण अमेरिका और नाटो देशों तथा रूस के बीच तनाव की स्थिति है. पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना कर रहा रूस एक नई भुगतान प्रणाली की वकालत कर रहा है.
राजनीतिक विशेषज्ञ ब्रिक्स आयोजन को एक नई विश्व व्यवस्था के निर्माण के लिए आधारभूमि तैयार करने का अवसर मान रहे हैं.
हिन्दुस्थान समाचार