हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार दिवाली जो की रोशनी और उमंग का त्यौहार है. दिवाली से 2 दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन धन के देवता कुबेर जी और धन्वन्तरि की पूजा की जाती है. धनतेरस त्योहार पांच दिवसीय दिवाली के त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है. पहले दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. उसके बाद नर्क चतुर्दशी, दिवाली गोवर्धन पूजा और अंत में भाई दूज के साथ त्योहार का समापन होता है. हिंदू धर्म में धनतेरस का एक अपना महत्व है, इस दिन भगवान धन्वन्तरि सहित कुबेर जी और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
हर साल धनतेरस के दिन लोग बाजारों में खरीदारी करने निकलते हैं धनतेरस के दिन लोग सोना और चांदी के साथ-साथ झाड़ू भी खरीदते हैं. मानयता तो यह है कि धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से धन की वृद्धि होती है. भगवान धन्वन्तरि की पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है.
आईए जानते हैं कि धन्वन्तरि देवता कौन है और धनतेरस के दिन इनकी पूजा क्यों की जाती है
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार यह माना जाता है कि धन्वन्तरि समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए हैं. भगवान धन्वन्तरि को चिकित्सा क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद का प्रवर्तक और देवताओं का चिकित्सक माना जाता है. हिंदू धर्म में भगवान धन्वन्तरि को आरोग्य प्रदान करने वाले देवता का स्थान दिया गया है. कहा जाता है कि धनतेरस के दिन यदि भगवान धन्वन्तरि की पूजा करी जाए तो रोगों से मुक्ति मिलती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है
धनतेरस पर धन्वन्तरि देवता की पूजा करने का महत्व
पौराणिक मान्यताओं और कथाओं के अनुसार अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं और राक्षसों द्वारा समुद्र मंथन किया गया था, फिर समुद्र मंथन से एक-एक करके 14 रत्न प्राप्त हुए, समुद्र मंथन के बाद अंत में अमृत की प्राप्ति हुई, आध्यात्मिक कथाओं के अनुसार इसके बाद भगवान धन्वन्तरि हाथों में अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए. जिस दिन भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी. ऐसे में धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा की परंपरा चली आ रही है. मान्यता यह भी है कि भगवान धन्वन्तरि को भगवान विष्णु का एक अंश माना जाता है साथ ही साथ माता लक्ष्मी और कुबेर भगवान की भी विधि-विधान के साथ पूजा और आराधना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से घर में धान की कोई भी कमी नहीं रहती साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.
2024 धनतेरस की तिथि और मुहूर्त क्या है?
धनतेरस को धन त्रयोदशी भी कहा जाता है इस बार त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 पर शुरू होकर 30 अक्टूबर की दोपहर 1:15 पर समाप्त होगी. इस कारण पूजा 29 अक्टूबर 2024 को ही की जाएगी.
धनतेरस पर खरीदारी करने का महत्व
धार्मिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत कलश था, इसी कारण धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है. लोग दिवाली के बाद धनतेरस पर खरीदे गए बर्तनों को खाने-पीने की चीजों से भर कर रखते हैं. इसके अलावा लोग धनिया खरीद कर भी इन बर्तनों में रखते हैं. माना यह जाता है कि धनतेरस के दिन खरीदे हुए बर्तन में कुछ ना कुछ रखने से धन और अन्न के भंडार भरे रहते हैं.ऐसी भी मानयता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु 13 गुना अधिक लाभ देती है, इसलिए धनतेरस के दिन लोग तांबे और पीतल के बर्तनों के साथ-साथ सोने और चांदी की चीज भी खरीदते हैं .
धनतेरस पर खरीदारी करने के 3 शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन लोग घर के बर्तन, सोना-चांदी के आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक का सामान आदि की खरीदारी करते हैं. अगर आप धनतेरस पर खरीदारी करने जा रहे हैं तो-
1. 29 अक्टूबर के मंगलवार को सुबह 10:31 से 30 अक्टूबर 6:32 तक शुभ मुहूर्त रहेगा
2. खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त शाम 6:31 से रात 8:13 तक है.
3. तीसरा खरीदी का मुहूर्त शाम 5:38 तक शाम 6:55 तक है.