नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की 58वीं कार्यकारी समिति की बैठक में विभिन्न महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई. चंबल, सोन, दामोदर और टोंस नदियों के पर्यावरणीय प्रवाह का आकलन और गंगा नदी डॉल्फिन के संरक्षण के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना को इसमें मंजूरी दी गई है.
बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की. इन परियोजनाओं का उद्देश्य गंगा नदी और उसके जलीय जीवन के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाना है.
जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार 11 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट के साथ बनी पर्यावरणीय प्रवाह संबंधित परियोजना का उद्देश्य हाइड्रोलॉजिकल और हाइड्रोडायनामिक मॉडल तैयार करना भी है. वहीं ‘फंसे हुए गंगा नदी डॉल्फ़िन की सुरक्षा के लिए उन्नत बचाव प्रणाली’ का अनुमानित बजट 1 करोड़ रुपये है. इसका उद्देश्य संकट में डॉल्फ़िन की सहायता के लिए एक विशेष बचाव वाहन, ‘डॉल्फ़िन एम्बुलेंस’ विकसित करना है. बैठक में उत्तर प्रदेश में गंगा बेसिन में लुप्तप्राय कछुओं के संरक्षण के लिए एक परियोजना को भी मंजूरी दी गई है.
कोलकाता के केओरापुकुर में 50 एमएलडी एसटीपी (मिलियन लीटर प्रतिदिन सेप्टेज ट्रीटमेंट प्लांट) के पुनर्वास को 114.27 करोड़ रुपये के संशोधित बजट के साथ मंजूरी दी गई है, जो प्रारंभिक 67.06 करोड़ रुपये से अधिक है. पश्चिम बंगाल के बर्धमान में एकीकृत सेप्टेज ट्रीटमेंट प्लांट परियोजना को संशोधित मंजूरी देकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. इस परियोजना को अब 6.46 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10.35 करोड़ रुपये का संशोधित बजट दिया गया है.
बैठक के दौरान यात्रा वृत्तांत श्रृंखला ‘रग-रग में गंगा- एक जीवन धारा’ के तीसरे सीज़न के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह नया सीज़न गंगा के महत्व और संरक्षण प्रयासों को नए नजरिए से प्रस्तुत करेगा.
बैठक में जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की संयुक्त सचिव एवं वित्तीय सलाहकार ऋचा मिश्रा, एनएमसीजी के उप महानिदेशक नलिन श्रीवास्तव, ईडी (तकनीकी) अनूप कुमार श्रीवास्तव, ईडी (प्रशासन) एसपी वशिष्ठ, ईडी (वित्त) भास्कर दासगुप्ता और एसपीएमजी पश्चिम बंगाल की परियोजना निदेशक नंदिनी घोष उपस्थित थीं.
हिन्दुस्थान समाचार