बिलासपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में बुधवार को बिलासपुर रेलवे डिपो में नई लाइन के काम के दौरान हरे भरे पेड़ों को काटे जाने को लेकर शुरू जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश अमितेंद्र किशोर प्रसाद की युगलपीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान दिए आदेश के परिपालन के बारे में केंद्र सरकार के उपक्रम रेलवे का पक्ष सुना. डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि 25 नवंबर 2024 को इस मसले पर शपथपत्र दाखिल किया गया है। इसमें बताया गया है कि रेलवे ने पेड़ कटाई के पहले अनुमति मांगी गई थी और विशेषज्ञ की सलाह भी ली गई थी। विशेषज्ञ नेहा बंशोड जो कि फॉरेस्ट्री और वाइल्डलाइफ की जानकार हैं, उनसे 8 जुलाई 2024 को रिपोर्ट मांगी गई और 15 जुलाई 2024 को उन्होंने रिपोर्ट सौंपी है। इसके पहले डीएफओ को आवेदन दे दिया गया था। बैंच ने इस रिपोर्ट को गंभीरता से देखते हुए हिदायत देते हुए कहा उन्हें आशा और विश्वास है कि भविष्य में यदि रेलवे पेड़ों को काटना चाहेंगे, तो उन्हें सावधानी से कदम उठाना चाहिए और ऐसा कदम जनहित में होना चाहिए। यह कहकर जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया है.
दरअसल वंदेभारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए डिपो का निर्माण काम किया जा रहा है। रेलवे ने जहां डिपो बनाने का निर्णय लिया और पेड़ों की कटाई वन विभाग की अनुमति के बिना कर दी। मीडिया रिपोर्ट को कोर्ट ने संज्ञान लिया। जिसमें रेलवे अफसरों ने मई में 242 पेड़ों की कटाई के लिए वन विभाग को पत्र लिखा था। वहीं वन विभाग की अनुमति के बगैर रेलवे के अफसरों ने पेड़ों की कटाई और शिफ्टिंग कर दी। हालांकि रेलवे ने बताया कि 06 जुलाई 2023 को संशोधन किया गया है. पेड़ों की कटाई के नियम, 2022 के नियम 5 के तहत किसी भी सरकार या अर्ध-सरकार के परियोजना एल योजना, आवंटी विभाग/निकाय/संस्था पर स्थित वृक्षों को काट सकता है.
इस मीडिया रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस ने जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड करने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया था. 7 नवंबर 2024 को इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने नाराजगी जताते हुए राज्य शासन व रेलवे के अफसरों से पूछा कि, बगैर अनुमति इस तरह का काम क्यों किया गया. पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आप लोगों की कोई चिंता है भी या नहीं। बड़ी संख्या में हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर दी गई है. नाराज चीफ जस्टिस ने इस संबंध में रेलवे के अफसरों व राज्य शासन को शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने के निर्देश दिए थे.
राज्य शासन की तरफ से वन विभाग के अधिकारी वन संरक्षक के दिए गए हलफनामे में बताया गया है कि 242 पेड़ों की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन पहले ही पेड़ों की कटाई कर दी गई. वनविभाग ने बताया 116 पेड़ काटे गए, 54 विस्थापित किए गए और 72 मौजूद मिले। जिसमें बबूल, मुनगा और अन्य प्रजाति के पेड़ काटे गए हैं. बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने रेलवे को हिदायत देते हुए कहा भविष्य में यदि पेड़ों को काटना चाहेंगे, तो उन्हें सावधानी और जनहित ध्यान रखना होगा। यह कहकर जनहित याचिका को निरस्त कर दिया गया है.
हिन्दुस्थान समाचार