नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर कहा कि दिव्यांगजनों को बाधा मुक्त वातावरण उपलब्ध कराना समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए. राष्ट्रपति नई दिल्ली में वर्ष-2024 के लिए 22 व्यक्तियों और 11 संस्थानों को दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं.
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और कहा कि इन पुरस्कारों का दूरगामी सामाजिक महत्व है. इनका अनुकरण करके अन्य व्यक्ति और संस्थाएं दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकती हैं.
उन्होंने कहा कि पूरी मानवता को दिव्यांगजनों को सहज और समान महसूस कराना चाहिए. उन्हें हर तरह से बाधा मुक्त वातावरण उपलब्ध कराना समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए. सही मायनों में वही समाज संवेदनशील कहा जा सकता है, जिसमें दिव्यांगजनों को समान सुविधाएं और अवसर मिलें.
इस वर्ष के अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस की थीम ‘समावेशी और टिकाऊ भविष्य के लिए दिव्यांगजनों के नेतृत्व को बढ़ावा देना’ का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांगजनों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना, उनके कौशल का विकास करना, रोजगार प्रदान करना, उनके उत्पादों की खरीद और विपणन सुविधाएं प्रदान करना उनकी नेतृत्व क्षमता को बढ़ाएगा.
राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांग होना किसी भी तरह की कमी नहीं है. यह एक विशेष स्थिति है. दिव्यांगजनों को सहानुभूति की जरूरत है, सहानुभूति की नहीं, उन्हें दया की नहीं, संवेदनशीलता की जरूरत है, उन्हें विशेष ध्यान की नहीं, बल्कि स्वाभाविक स्नेह की जरूरत है. समाज को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दिव्यांगजन समाज के अन्य सदस्यों के साथ समानता, गरिमा और सम्मान का अनुभव करें.
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह काम करने का अवसर दिव्यांगजनों में आत्मविश्वास और सार्थक जीवन जीने की भावना पैदा करता है. इस प्रकार, रोजगार, उद्यम और आर्थिक सशक्तीकरण के माध्यम से उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है.
इस मौके पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के सचिव राजेश अग्रवाल भी उपस्थित थे.
हिन्दुस्थान समाचार