रायपुर: छत्तीसगढ़ जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) घोटाला मामले में गिरफ्तार मनोज द्विवेदी को सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया. डीएमएफ घोटाला मामले में ईडी ने निलंबित आईएएस रानू सहित 16 लोगों को आरोपित बनाया है. ईडी ने इनके खिलाफ 8021 पन्नों का अभियोजन परिवाद रायपुर की विशेष न्यायालय में आज दाखिल किया है, जिसमें 169 पन्नों में विस्तृत अभियोजन शिकायत है. आरोप है कि इन लोगों ने 90 करोड़ 48 लाख 22 हजार 255 रुपये का घोटाला किया है.
ईडी की जांच में 16 आरोपितों में आईएएस रानू साहू, राज्य प्रशासनिक अधिकारी माया वरियार ,एनजीओ के सचिव मनोज कुमार द्विवेदी और अन्य टेंडर करने वालों में संजय शिंदे ,अशोक कुमार अग्रवाल ,मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और रवि शर्मा ,पीयूष सोनी, पीयूष साहू, अब्दुल और शेखर को शामिल किया गया है. जांच में पाया गया है कि निजी कंपनियों और अधिकारियों के बीच मिल बांटकर बिल की व्यापक कीमत से अधिक का भुगतान किया गया है.
गाैरतलब है कि डीएमएफ फंड घोटाला मामले में ईडी ने रानू साहू की करीबी माया वारियर से पूछताछ के बाद मनोज द्विवेदी को तीन बार पूछताछ करने कार्यालय बुलाया गया था. मनोज के संतोषजनक जवाब नहीं देने पर उसे ईडी ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर पूछताछ करने रिमांड हासिल किया था। ईडी ने डीएमएफ घोटाले में माया वारियर को 15 अक्टूबर और रानू साहू को 17 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। दोनों को इस मामले में मुख्य आरोपित माना जा रहा है. मनोज पर आरोप है कि उसने डीएमएफ के ठेकों में दलाली के जरिये ठेकेदारों से 12 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की और यह रकम माया वारियर के जरिए रानू साहू तक पहुंचाई. ठेकेदार मनोज कुमार द्विवेदी की गिरफ्तारी इसी मामले में माया वारियर से पूछताछ के बाद हुए खुलासे के आधार पर की गई है. मनोज द्विवेदी ने यह राशि एक एनजीओ “उद्गम सेवा समिति” के नाम पर ली. ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि मनोज ने खुद भी अवैध वसूली से 7-8 करोड़ रुपये कमाए.
हिन्दुस्थान समाचार