कुछ ही दिनों में नया साल दस्तक देने वाला है. 2024 कई मायनों में यादगार रहा, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं प्राकृतिक आपदाओं की. इतिहास के सबसे गर्म साल के तौर पर दर्ज हुए इस साल में वायनाड भूस्खलन, चक्रवात फेंगल, तूफान रेमल और कई राज्यों में आई भीषण बाढ़ ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इस साल भारत को कई खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा. इन घटनाओं ने न सिर्फ हजारों लोगों की जान ले ली, बल्कि लाखों लोग बेघर हो गए. प्रभावित इलाकों में जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया.
आइए, एक नजर डालते हैं 2024 की उन प्राकृतिक आपदाओं पर, जिन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में भारी तबाही मचाई:
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर में भयंकर तबाही
इस साल आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर में भारी बारिश और उफनती नदियों ने भयंकर तबाही मचाई. बाढ़ के कारण 40 से ज्यादा लोगों की जान चली गई, जबकि तीन लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह बाढ़ 31 अगस्त से लेकर 9 सितंबर तक अपने प्रचंड रूप में रही. बुडामेरु नदी और उफनती कृष्णा नदी ने निचले इलाकों में पानी भरने से स्थिति और भी गंभीर कर दी. सड़कों पर पानी का सैलाब, डूबे हुए घर, और फंसे हुए लोग, यह मंजर हर किसी को झकझोर देने वाला था.
राहत और बचाव कार्य में तेजी लाते हुए, प्रशासन ने 44,000 से अधिक विस्थापित निवासियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान किया. प्रभावित इलाकों में राहत टीमों ने न सिर्फ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया, बल्कि भोजन और दवाइयों का भी इंतजाम किया.
चक्रवात ‘रेमल’ ने मचाई तबाही
2024 में उत्तर भारतीय महासागर चक्रवात सीजन का पहला तूफान, तूफान रेमल, 26 मई को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के सुंदरबन डेल्टा क्षेत्र में आया. इस प्रचंड चक्रवात ने न सिर्फ तबाही मचाई बल्कि बंगाल, मिजोरम, असम और मेघालय में कम से कम 30 से ज्यादा लोगों की जान ले ली.
तूफान के कारण तेज हवाएं, भारी बारिश और बाढ़ जैसी स्थितियां पैदा हो गईं. खेत खलिहानों से लेकर घरों तक, तूफान ने हर जगह विनाश के निशान छोड़े. मिजोरम और असम में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गईं, जबकि मेघालय के कई इलाकों में जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया.
वायनाड भूस्खलन
केरल के वायनाड जिले के लोग 30 जुलाई 2024 का दिन शायद ही कभी भूल पाएंगे. इस दिन मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने जिले को भारी तबाही के गर्त में धकेल दिया. इस विनाशकारी घटना में 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिससे यह इस साल का सबसे खतरनाक भूस्खलन साबित हुआ.
वायनाड के मुंडक्कई और चूरलमाला के साथ-साथ मलप्पुरम जिले के नीलांबुर वन क्षेत्र में भी भूस्खलन ने कहर बरपाया. तबाह हुए घरों और मलबे के बीच फंसे लोग फोन के जरिए मदद की गुहार लगा रहे थे. राहत और बचाव कार्य के दौरान राहत टीमों ने इस हृदयविदारक दृश्य का सामना किया.
इस भूस्खलन के कारण 1,500 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए और हजारों लोग विस्थापित हो गए. स्थानीय प्रशासन ने बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों की मदद ली, लेकिन मूसलाधार बारिश और दुर्गम इलाकों ने राहत कार्य को बेहद कठिन बना दिया.
हिमाचल प्रदेश में दो महीने के अंदर 51 बार फटे बादल
जून से अगस्त 2024 के बीच हिमाचल प्रदेश में 51 बार बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं ने राज्य को बुरी तरह प्रभावित किया। इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग अब भी लापता हैं. लाहौल और स्पीति जैसे इलाकों में इस आपदा का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला.
बाढ़ और भूस्खलन के कारण 121 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए, जबकि 35 स्थानों पर भूस्खलन की घटनाओं ने हालात को और गंभीर बना दिया. सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान ने राहत और बचाव कार्यों को मुश्किल बना दिया.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश को इस आपदा से करीब 1,140 करोड़ रुपये का भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा.
तूफान फेंगल
30 नवंबर 2024 को आए चक्रवात फेंगल ने पुडुचेरी के पास दस्तक देकर भारी तबाही मचाई. इस विनाशकारी तूफान में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग प्रभावित हुए. तूफान के कारण पुडुचेरी में 46 सेमी की रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई, जिससे सड़कें, घर, और खेत पानी में डूब गए.
तूफान फेंगल के चलते तमिलनाडु के कई जिलों में फसलों को भारी नुकसान हुआ. धान, गन्ना और सब्जियों की फसलें बर्बाद हो गईं, जिससे किसानों को गहरा आर्थिक झटका लगा. वहीं, महाराष्ट्र में भी इस तूफान का असर देखने को मिला, जहां तेज हवाओं और बारिश ने कई इलाकों को प्रभावित किया.
इस साल देश के पूर्वोत्तर राज्यों ने भारी बारिश और बाढ़ के कारण अभूतपूर्व संकट का सामना किया. दूर-दूर तक पानी का सैलाब नजर आया, जहां नदी का दूसरा किनारा और गांव की सरहदें एक हो गईं. सड़कों, रास्तों और पगडंडियों के सैलाब में डूबने से जनजीवन ठप हो गया.
असम में आई इस भयंकर बाढ़ ने 117 लोगों की जान ले ली और 21 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए. हजारों घर पानी में बह गए, और लाखों लोग विस्थापित हो गए. हर साल की तरह इस बार भी ब्रह्मपुत्र नदी ने अपने प्रकोप से इस राज्य को झकझोर कर रख दिया.