बिलासपुर: रेलवे इंजन के व्हील्स पर ड्रिलिंग कर दुर्घटना की आशंका से जुड़ी याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र अग्रवाल की बैंच ने गंभीरता से मामले को सुना और रेलवे के इस तरह से कोई कृत्य नहीं किए की जानकारी दी. वहीं इस मामले में एक दो सदस्यीय समिति बनाकर जांच गठित करने की बात कही गई. दरअसल इस मामले में एक कर्मचारी अमोश नाग ने जनहित याचिका 13 जनवरी 2025 को दाखिल की थी, जो रायगढ़ रेलवे के ऑपरेशनल विभाग में कार्यरत था.
अमोश नाग ने आरोप लगाया कि रेलवे के अधिकारी अवैधानिक तरीकों से कार्य कर रहे हैं, जो दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है. वहीं उसका याचिका में दावा था कि रेलवे इंजन के व्हील्स पर ड्रिलिंग की जा रही है, जबकि इसके लिए पर्याप्त नए एक्सल उपलब्ध हैं. यह प्रक्रिया आरडीएसओ द्वारा प्रतिबंधित है और अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग भी समय पर नहीं की जा रही है. उन्होंने इसे अधिकारियों के व्यक्तिगत आर्थिक लाभ के लिए किया जाना बताया. लेकिन कोर्ट ने रेलवे से जुड़े कर्मचारी होने पर और अन्य पहलुओं से इसे स्वीकार नहीं किया. लेकिन विषय की गंभीरता देखते हुए स्वत संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करने का निर्णय लिया.
चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार के वकील रमाकांत मिश्रा को स्पष्ट निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को हुई. जिसमें रेलवे का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने बताया कि इस पूरे मामले में डीआरएम ने डिविजनल सेफ्टी ऑफिसर और डिविजनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की दो सदस्य वाली टीम गठित कर दी है. जिसमें सौरभ दवाक और अमित गुप्ता शामिल हैं. जिसकी जल्द रिपोर्ट आ जाएगी. वही व्हील्स की ड्रिलिंग को लेकर उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि ऐसा कोई कार्य नहीं किया जा रहा. डिवीजन बेंच ने रेलवे को निगरानी करने सहित लोगों की सुरक्षा की हिदायत देते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.
हिन्दुस्थान समाचार