Shri Bhoramdev Mandir: भारत देश मंदिरों का देश कहलाता है, क्योंकि हमारे देश में जगह-जगह पर प्राचिन मंदिर स्थापित हैं. जिन्हें देश की कीमती धरोहर की तरह संजोकर रखा गया है. ऐसा ही एक मंदिर है छत्तिसगढ़ के कवर्धा में जिसको खजुराहो के नाम से जाना जाता है.
छत्तिसगढ़ के कवर्धो में स्थित भोरमदेव मंदिर जो की छत्तिसगढ़ का खजुराहो भी कहलाया जाता है. इस मंदिर की तुलना उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर से भी की जाती है. इस मंदिर की खूबसूरती से प्रभावित होकर दूर- दूर से लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है. यह एक पर्यटन स्थल भी है.
आइए आठ पॉइनस में जानते हैं भोरमदेव मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें-
1.भोरमदेव मंदिर कवर्धा से करीब 18 किमी दूर है और यह चोरों ओर से पर्वतों से घिरा हुआ है.
2. बता दें की मंदिर के बाहरी दीवारों पर हाथों से बनी प्रतिमा हैरान कर देती हैं, साथ ही सुंदर शिल्पकला का अनूठा संगम इस मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है. इसी कारण से ही इसे खजुराहो और कोणार्क के मंदिरों की उपमा दी जाती है.
3. मंदिर में बनी वैष्णव और जैन प्रतिमाएं भारतीय संस्कृति और कला को दर्शाती हैं.
4. भोरमदेव मंदिर पहुंचने के लिए कबीरधाम जिला जाने वाला कोई भी यायातात सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है.
5. इस मंदिर का निर्मण एक हजार साल पहले कराया गया था.लेकिन आज भी यह मंदिर उतनी ही मजबूती के साथ खड़ा हुआ है.
6. यहां की एक- एक मुर्ति इतनी आकर्षित है कि पर्यटक इनसे अपनी नजर ही नहीं हटा पाते हैं. सभी मुर्तियां नागरशैली में बनी हुई हैं.
7. जिला इतिहासकार के मुताबिक यह एक दुर्लभ धरोहरों में से एक है इसलिए इसे सहेजकर रखने की बहुत जरुरत है.
8. मंदिर के पीछे मान्यता है कि यहां के राजा ने 11वीं सदी में इस मंदिर का निर्मण कराया था. कहा जाता है कि नागवंशी राजा गोपाल देव ने इस मंदिर को एक रात में बनाने का आदेश दिया था, आपको बता दें उस जमाने में 6 महीने की रात और 6 महीने के दिन हुआ करते थे.तब यह मंदिर एक रात में बनाया गया था.
ये भी पढ़ें: Chhattisgarh Famous Temples: दुर्ग के धमधा में स्थित है ये अनोखा देवालय, मिट्टी के ज्योति कलश से हो रहा निर्माण